मिथुन चक्रवर्ती का यू-टर्न, कभी थे नक्सली, ममता की पार्टी से सांसद, अब बीजेपी में शामिल, सियासी सफर

 

मिथुन चक्रवर्ती का यू-टर्न, कभी थे नक्सली, ममता की पार्टी से सांसद, अब बीजेपी में शामिल, सियासी सफर

बीजेपी का दामन थामकर बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने राजनीति में अपनी नई पारी का आगाज किया है, मिथुन का राजनीति से लगाव नया नहीं है, कभी नक्सली आंदोलन से जुड़ने वाले मिथुन दा ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से सांसद भी रह चुके हैं, सारदा घोटाला सामने आने के बाद उन्होने राजनीति से किनारा कर लिया, पिछले कुछ दिनों से उनके बीजेपी में जाने की चर्चा थी, मिथुन ने अपने ही अंदाज में ये ये कहकर विराम लगा दिया, कोई शक।

नक्सली थे
एक्टर बनने से पहले मिथुन दा नक्सली थे, लेकिन एक हादसे में भाई की मौत के बाद उन्हें परिवार के बीच लौटना पड़ा, इसके बाद परिवार को संभालने की जिम्मेदारी आ गई, डांस का उन्हें बहुत शौक था, उन्होने स्टेज शोज से शुरुआत की और फिर एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया, फिल्म मृगया से उन्होने फिल्मी करियर की शुरुआत की, इस फिल्म के लिये नेशनल अवॉर्ड भी मिला, अपनी पहली फिल्म को इतनी बड़ी कामयाबी दिलाने के बाद उनको लगा कि वो सुपरहिट एक्टर बन गये हैं, हालांकि ये बात उनकी एक गलतफहमी थी।

फिल्मों का अकाल
मृगया के बाद मिथुन दा के पास फिल्मों का अकाल पड़ गया, अगले 2-3 साल उन्हें गिनी-चुनी फिल्में ही मिलीं, वो भी फ्लॉप रही, इसके बाद उन्होने एक्टर बनने का सपना छोड़ दिया, वो डांस में करियर बनाने की सोचने लगे, उन दिनों हेलन का काफी क्रेज था, वो फिल्मों में आइटम सांग करती थी, मिथुन ने भी हेलन को ज्वाइन कर लिया और उनके असिस्टेंट का काम करने लगे। उन्होने अपना नाम भी बदल लिया, कुछ दिनों बाद अमिताभ बच्चन की फिल्म में एक रोल मिला, जिसके बाद उनकी गाड़ी चल निकली।

राज्यसभा सांसद
ममता बनर्जी के साथ मिथुन दा का जुड़ाव 2011 के बाद तब हुआ, जब टीएमसी ने बंगाल में सरकार बनाई, ममता ने मिथुन को 2014 में राज्यसभा भेजा, सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक सारदा घोटाला सामने आ गया, मिथुन उस ग्रुप के ब्रांड एंबेसडर थे, जो बंगाल में सारदा को चला रहा था, मामले की विवेचना के दौरान मिथुन से सवाल जवाब किये गये 2015 में एक्टर ने 1.19 करोड़ रुपये ईडी को लौटा दिये, ये राशि उस रकम का हिस्सा थी, जो ब्रांड एंबेसडर के तौर पर उन्हें टैक्स जमा करने के बाद मिली थी, 2016 में उन्होने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।

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