ऑडिशन लेने का काम करते थे वरुण
वरुण शर्मा का फिल्म इंडस्ट्री से कोई कनेक्शन नहीं था, लेकिन उन्हें एक्टिंग का बहुत शौक था, जब वो मुंबई आये, तो उन्होने अपने इंटर्नशिप के दौरान फिल्मों के ऑडिशन लेने का काम शुरु किया था, इस दौरान उन्होने प्रोडक्शन कंपनी में भी काम किया, वो शूटिंग के लिये घोड़े, ऊंट, लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करने लगे, लेकिन वरुण को तो एक्टर बनना था, इसलिये उन्होने फिर खुद ऑडिशन देना शुरु किया।
वरुण शर्मा का फिल्म इंडस्ट्री से कोई कनेक्शन नहीं था, लेकिन उन्हें एक्टिंग का बहुत शौक था, जब वो मुंबई आये, तो उन्होने अपने इंटर्नशिप के दौरान फिल्मों के ऑडिशन लेने का काम शुरु किया था, इस दौरान उन्होने प्रोडक्शन कंपनी में भी काम किया, वो शूटिंग के लिये घोड़े, ऊंट, लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करने लगे, लेकिन वरुण को तो एक्टर बनना था, इसलिये उन्होने फिर खुद ऑडिशन देना शुरु किया।
रिजेक्शन झेला
एक्टर ने जूम को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होने शुरुआती दिनों में बहुत रिजेक्शन झेला, फिल्मों से लेकर टेली फिल्मस के ऑडिशन तक दिये, लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता था। वरुण को इसी बीच एक फिल्म मिली, जिसमें उनसे कहा गया, कि हीरो के दोस्त का किरदार है, उनसे कांट्रेक्ट साइन करवाया गया, ट्रेन से दिल्ली शूट के लिये भेजा गया, जब वहां पहुंचे, तो पता चला कि उन्हें बैकग्राउंड ऑर्टिस्ट के लिये बुलाया गया है। वरुण ने बताया मैंने सोचा कि कोई बात नहीं अनुभव मिलेगा, इसलिये कर लेते हैं, एक दिन खाने की बात आई, तो उन लोगों ने हमें पेंट के डिब्बे में खाना दिया, पेंट के डिब्बे में चावल, दाल, सब्जी, रोटी दी गई, मेरे और मेरे कुछ दोस्तों के साथ ये किया गया, ये देखकर आधे से ज्यादा लोग रो पड़े, मेरे भी आंखों में आंसू आ गये, कि यार इतना नहीं कर सकते।
एक्टर ने जूम को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होने शुरुआती दिनों में बहुत रिजेक्शन झेला, फिल्मों से लेकर टेली फिल्मस के ऑडिशन तक दिये, लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता था। वरुण को इसी बीच एक फिल्म मिली, जिसमें उनसे कहा गया, कि हीरो के दोस्त का किरदार है, उनसे कांट्रेक्ट साइन करवाया गया, ट्रेन से दिल्ली शूट के लिये भेजा गया, जब वहां पहुंचे, तो पता चला कि उन्हें बैकग्राउंड ऑर्टिस्ट के लिये बुलाया गया है। वरुण ने बताया मैंने सोचा कि कोई बात नहीं अनुभव मिलेगा, इसलिये कर लेते हैं, एक दिन खाने की बात आई, तो उन लोगों ने हमें पेंट के डिब्बे में खाना दिया, पेंट के डिब्बे में चावल, दाल, सब्जी, रोटी दी गई, मेरे और मेरे कुछ दोस्तों के साथ ये किया गया, ये देखकर आधे से ज्यादा लोग रो पड़े, मेरे भी आंखों में आंसू आ गये, कि यार इतना नहीं कर सकते।
इस तरह मिली फुकरे
वरुण को मुंबई में कई सालों तक धक्के खाने पड़े, तब जाकर उन्हें 2013 में पहली फिल्म फुकरे मिली, फिल्म के निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा को फिल्म के लिये एक नये लड़के की तलाश थी, इसलिये उन्होने वरुण शर्मा को चुना, वरुण ने भी डायरेक्टर को निराश नहीं किया, और फिल्म हिट रही, इसके बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा, एक के बाद एक फिल्म मिल रही है। दिलवाले, राब्ता, फुकरे रिटर्न्स, खानदानी शफाखाना, छिछोरी उनकी सफल फिल्में रही हैं।
वरुण को मुंबई में कई सालों तक धक्के खाने पड़े, तब जाकर उन्हें 2013 में पहली फिल्म फुकरे मिली, फिल्म के निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा को फिल्म के लिये एक नये लड़के की तलाश थी, इसलिये उन्होने वरुण शर्मा को चुना, वरुण ने भी डायरेक्टर को निराश नहीं किया, और फिल्म हिट रही, इसके बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा, एक के बाद एक फिल्म मिल रही है। दिलवाले, राब्ता, फुकरे रिटर्न्स, खानदानी शफाखाना, छिछोरी उनकी सफल फिल्में रही हैं।
Post a Comment