वाराणसी। धर्म और आध्यात्म नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के गवना की तैयारी शुरू हो चुकी है। महिलाओं ने सुहाग के पारंपरिक गीत गाए जाने के साथ रस्म की शुरूआत कर दी है। गौरा की तेल-हल्दी की रस्म शुरू हो चुकी। मंगलवार को बाबा विश्वनाथ गणों के साथ अपनी ससुराल पहुंचेंगे। 24 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन गौना बारात निकलेगी। गौना की बारात में डमरूदल और शंखनाद करने वाले 108 सदस्य शामिल होंगे। गौना की बारात में नादस्वरम् और बंगाल का ढाक भी गूंजेगा। मथुरा के गुलाब के फूलों के गुलाल से बाबा के भक्तों संग होली खेलने के साथ काशी में होलियाना अंदाज शुरू जाएगा। रंगभरी एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी का टेढ़ीनीम स्थित आवास मां गौरा का मायका बना है।
काशी की है परम्परा काशी की लोक पंरपरा में महाशिवरात्रि के दिन महादेव और महामाया के विवाह उपरांत रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शंकर मां पार्वती का गौना कराते हैं। काशी की यह परम्परा 356 वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है। रंगभरी एकदषी के दिन दूल्हे के रूप में सजे बाबा विशवनाथ रजत पालकी में सवार होकर मां गौरा का गौना लेने निकलेंगे। काशी के लोग इस दिन बाबा विश्वनाथ और गौरा को रंग अर्पित कर होली के हुड़दंग षुरू कर देते हैं। गौना की रस्म से पहले किए जाने वाले लोकाचार की शुरुआत रविवार को मां गौरा का मायका बने महंत आवास पर हो चुकी है। 22 मार्च यानी आज गौरा की तेल-हल्दी की रस्म होगी। 23 मार्च को बाबा के ससुराल आगमन के अवसर पर 11 ब्राह्मणों द्वारा स्वस्तिवाचन होगा। वैदिक घनपाठ और दीक्षित मंत्रों से आराधना कर बाबा विश्वनाथ को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा।
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