
टाटा ग्रुप के रतन टाटा जो कि पहचान के मोहताज नहीं है अपने आप में खुद जानी-मानी बड़ी हस्ती है! उन्होंने सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों के लिए एक तोहफा दिया है! यह जानकर आपको हैरानी हो जाएगी कि रतन टाटा ने ऐतिहासिक मुंबई हाउस में बेघर कुत्तों को लग्जरी अलीशाना दिया है! साल 1924 में बने इस ऐतिहासिक इमारत में कुत्तों को रखने के लिए बेहद शानदार जगह दी है! यही नहीं बल्कि 94 साल पुरानी इस इमारत के अंदर सुधार कार्य कराने के लिए और साथ ही कुत्तों के लिए एक बेहद ही खास कैनल भी बनाया गया है! यही नहीं बल्कि उनकी पसंद को भी ध्यान रखते हुए कैनल को खासतौर पर तैयार किया गया है!
रतन टाटा के आदेश के बाद कुत्तों के लिए फ्रेंडली कैनल को बनाने के लिए इसे सांगा तरीके से सजाया भी गया है! नहर को चमकीले पीले रंग से रंगा गया है। सड़क पर घूमने वाले बेघर कुत्तों के लिए, यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। रतन टाटा ने कुत्तों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी बॉम्बे हाउस के दरवाजे हमेशा कुत्तों के लिए खुले थे। बॉम्बे हाउस में आने वाले किसी भी कुत्ते के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कुत्ते के स्वर्ग से पहले बॉम्बे हाउस रिसेप्शन कुत्तों की पसंदीदा जगहों में से एक था।
कुत्तों के लिए ऐसी सुविधाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण रतन टाटा का दिल है, जो कुत्तों के प्रति बहुत दयालु हैं। दरअसल, रतन टाटा ने एक बार एक असहाय कुत्ते को बहुत तेज बारिश में भीगते हुए देखा था। जिसके बाद उन्होंने बेघर कुत्तों के आंदोलन को बॉम्बे हाउस में स्थानांतरित करने की अनुमति दी। गौरतलब है कि रतन टाटा देश के गरीब लोगों की भी बहुत मदद करते हैं। आपको बता दें कि पिछले साल दिवाली के मौके पर रतन टाटा ने कैंसर पीड़ितों के लिए एक हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी थी।
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