सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना पाकिस्तान के लिए आम बात है। वह अगर नेक उद्देश्य से भी कोई काम शुरू करना चाहे, तो उसके पुराने पाप उसका पीछा नहीं छोड़ते। अभी हाल ही में वर्षों में पहली बार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान एक विदेशी दौरे पर श्रीलंका जाने के लिए तैयार हुए, पर उनके पहुँचने से पहले ही श्रीलंका की संसद में उनका प्रस्तावित सम्बोधन रद्द कर दिया गया।
श्रीलंकाई संसद के Sergeant-at-Arms, नरेंद्र फरनान्डो के अनुसार पीएम इमरान खान अपने दो दिवसीय दौरे पर आने वालहैं। लेकिन उनका श्रीलंकाई संसद में संबोधन रद्द हो चुका है, जिसकी पुष्टि श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने भी की। बया दें कि इमरान खान बतौर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री 22 फरवरी को दो दिवसीय दौरे के लिए जाने वाले हैं।
संसद में भाषण की मांग पाकिस्तानी सरकार ने की थी परंतु श्रीलंकाई सरकार ने आखिरी समय पर इमरान खान के भाषण के निर्णय को रद्द कर दिया। ऐसा क्यों हुआ, और किसलिए, इसके लिए स्वयं पाकिस्तानी अखबार डॉन ने कुछ तर्क रखे हैं, जो आश्चर्यजनक रूप से काफी सटीक भी बैठते हैं।
डॉन अखबार के अनुसार, “श्रीलंकाई रिपोर्ट्स की माने तो श्रीलंका की सरकार में कुछ ऐसे लोग हैं, जो नहीं चाहते थे कि ये भाषण हो, क्योंकि इससे भारत के साथ संबंध में पड़ जाती। कोलंबो पोर्ट में ईस्ट कन्टैनर टर्मिनल को लेकर एक डील रद्द होने से भारत पहले से ही नाराज है, और इमरान खान के भाषण से स्थिति बद से बदतर हो सकती थी”
लेकिन इमरान खान के भाषण से ऐसा भी क्या होता, जो भारत श्रीलंका के संबंधों में दरार पड़ जाती? इसके लिए कोई विशेष शोध की आवश्यकता नहीं, क्योंकि पाकिस्तान की प्रवृत्ति से भारत का बच्चा बच्चा परिचित है। स्वयं डॉन ने इस बात को स्वीकारा कि इमरान खान निस्संदेह संसद में अपने भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाते, और संसद में ये बात बोलने का अर्थ होता कि श्रीलंका ने जानबूझकर अपने मंच से इमरान खान को भारत के विरुद्ध विष उगलने का अवसर दिया, और श्रीलंका ये गलती बिल्कुल नहीं करना चाहता।
उरी और पुलवामा हमलों के बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंध अब रसातल में जा चुके हैं। इसके अलावा भारत द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना मानो पाकिस्तान के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं था। ऐसे में पाकिस्तान 2019 से ही हर अंतर्राष्ट्रीय मंच से कश्मीर के मुद्दे को उठाना चाहता है, अब यह अलग बात है कि कोई भी उसे पानी तक नहीं पूछता।
लेकिन यही एक कारण नहीं है जिसके कारण श्रीलंका ने इमरान खान को संसद में भाषण देने से रोका। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इमरान खान को संसद में भाषण देने से संभवत: श्रीलंका ने इसलिए भी रोका क्योंकि वे द्वीप देश के कट्टरपंथी मुसलमानों का भी पक्ष लेने लगते। बता दें कि कुछ साल पहले श्रीलंका के चर्च में हुए आतंकी हमले के बाद से श्रीलंका के नागरिकों में नाराजगी है और उन्होंने कट्टरपंथी मुसलमानों के आतंक से डरना भी बंद कर दिया। ऐसे में यह भी हो सकता है कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को अपने संसद में स्थान नहीं देना चाहते जो कट्टरता को बढ़ावा दे।
अब वजह चाहे जो भी हो, इमरान खान को एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती का सामना करना पड़ा है। उन्होंने सत्ता में आने पर कहा था कि नए पाकिस्तान की अपनी अलग पहचान होगी। शायद यह पहचान आगे चलकर उन्हें बहुत महंगा भी पड़ सकता है।
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