WhatsApp और Facebook को बैन करने के लिए, CAIT ने रविशंकर प्रसाद को लिखा पत्र


दादागिरी की भी एक सीमा होती है और निजता की हत्या करने के मामले में अब Facebook के स्वामित्व वाले इंस्टेंट मैसेजिंग मोबाइल एप्लिकेशन WhatsApp ने नई प्राइवेसी पॉलिसी के जरिए वो सारी सीमाएं लांघ दी हैं। ऐसे में अब ये मांग उठने लगी है कि भारत में न केवल WhatsApp अपितु Facebook को भी बैन कर देना चाहिए क्योंकि ये भारतीय जनता की निजता की खुल्लमखुल्ला धज्जियां उड़ाने पर आमादा हो चुके हैं।

दिलचस्प बात ये है कि ये सारी बातें कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने एक पत्र के जरिए मोदी सरकार से कही हैं। WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर पूरे विश्व में असंतोष और गुस्सा है जिससे फेसबुक भी जूझ रहा है, क्योंकि इसने निजता का उल्लंघन करने की पराकाष्ठा पार कर दी है।

ऐसे में भारत की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक CAIT ने केंद्रीय कानून एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखे अपने पत्र में WhatsApp और Facebook को पूरी तरह बैन करने की बात की है जिससे भारतीयों की निजता पर किसी भी तरह का डिजिटल हमला न हो, क्योंकि वर्तमान समय में लोगों की सारी जानकारी और डेटा उनके डिवाइसेज में संग्रहित होती है।

CAIT ने केंद्रीय मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, “सरकार को WhatsApp की नई गोपनीयता नीति को तुरंत रोकना चाहिए तथा WhatsApp और उसकी मूल कंपनी Facebook पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए।” भविष्य के खतरे को लेकर पत्र में लिखा गया, “भारत में फेसबुक के 20 करोड़ से भी ज्यादा यूजर्स हैं। अगर यूजर्स के डेटा तक इसकी पहुंच हो जाती है, तो इससे अर्थव्यवस्था के साथ ही देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।”

CAIT ने इस दौरान एक प्राथमिक स्तर का उदाहरण देते हुए इस पूरे घटनाक्रम को ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत की परातंत्रता से जोड़ा है। पत्र में संस्था ने लिखा, “यह हमें ईस्ट इंडिया कंपनी के उन दिनों की याद दिलाता है। कंपनी ने नमक का व्यापार करने के लिए भारत में प्रवेश किया और देश गुलाम हुआ लेकिन वर्तमान समय में डेटा ही अर्थव्यवस्था एवं देश की सामाजिक संरचना के लिए महत्वपूर्ण है।

बिना किसी शुल्क के Facebook और WhatsApp का उपयोग करने के लिए भारतीयों को पहले सुविधा देने के पीछे उनका असली मकसद अब सामने आ रहा है।” CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, “WhatsApp की बदली हुई प्राइवेसी पॉलिसी व्यक्ति की निजता का अतिक्रमण है और भारत के संविधान के मूल बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।”

WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर CAIT का कहना बिल्कुल सही है। मार्क जुकरबर्ग की WhatsApp और Facebook सर्विसेज ने लोगों को लती बना दिया है। ऐसे में ये कंपनियां आर्थिक लाभ कमाने की योजना में हैं, और लोगों की जानकारियों में ट्रांजेक्शन से लेकर कर आईपी एड्रेस तक की डिटेल्स तक कंपनी के पास जा सकती है। ऐसे में लोगों का भड़कना भी शुरू हो गया है, क्योंकि लोग WhatsApp की दादागिरी से गुस्से में हैं।

लोगों का गुस्सा इस कदर फूटा है कि WhatsApp द्वारा एकाउंट बंद होने से पहले ही लोग खुद इसे डिलीट कर रहे हैं। यूजर्स Hike, Signal जैसी मैसेजिंग एप्लिकेशंस की तरफ रुख कर चुके है जिसका सीधा नुकसान WhatsApp को होगा। इसके बावजूद भारत में एक बड़ा वर्ग इस डिजिटल ज्ञान से दूर है। इसके चलते लोगों की निजता का WhatsApp और Facebook जैसी कंपनियां हनन कर सकती हैं। इसलिए अब देश केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए इन Facebook और WhatsApp जैसी सभी एप्लिकेशन पर टिक-टॉक की तरह बैन लगा देना चाहिए।

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