चीन के लिए बड़े खतरे के रूप में उभरा UP, Electronic Manufacturing के अपने 5 साल के लक्ष्य को बस 3 वर्षों में पूरा किया


ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश ने अकेले दम पर चीन को चुनौती देकर उसे पछाड़ने की ठान ली है। Electronics के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने समय से पहले अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, अर्थात जिस Electronics उत्पादन का लक्ष्य 5 सालों में पूरा होना था, वो महज 3 वर्षों में पूरा हो गया है।

ईकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महज 3 वर्षों में उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के क्षेत्र में तीन साल में 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और तीन लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। ये लक्ष्य जो सरकार के सत्र के अंत तक पूरा होना था, अब 2021 शुरू होने से पहले, यानि 3 वर्ष में ही पूरा हो चुका है।

अमर उजाला कि रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश में ओप्पो, सैमसंग, डिक्सन, हीरानंदानी ग्रुप, इंफोसिस तथा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी बड़ी कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में निवेश की शुरुआत की है।

इसके अलावा सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन क्लस्टर का निर्माण NCR क्षेत्र यानि दिल्ली से सटे यूपी के शहरों में किया जाएगा, जिसमें करीब 2000 करोड़ का निवेश होगा। इसके तहत यमुना एक्सप्रेस-वे पर जेवर एयरपोर्ट के समीप एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी की स्थापना की जाएगी। बुंदेलखंड में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर तथा लखनऊ, उन्नाव और कानपुर जोन में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर बनेगा।

इसका स्पष्ट उद्देश्य होगा चीन का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर से वर्चस्व तोड़ना, जिसमें स्पष्ट रूप से भारत के साथ साथ ताइवान की कंपनियों को भी लाभ मिलेगा।

वुहान वायरस की महामारी को अपने लिए अवसर मानते हुए योगी सरकार ने ताबड़तोड़ सुधार किये, जिससे ज्यादा से ज्यादा निवेश उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित किया जा सके। आवश्यक श्रम सुधार करते हुए सरकार ने वित्तीय सत्र के प्रारंभ में ही अवरोध डालने वाले कई श्रम कानून निरस्त कर दिए थे, जिनका दुरुपयोग कर ट्रेड यूनियन उत्पादकों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते थे।

ऐसे में योगी सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि जो भी कंपनियां चीन की गुंडागर्दी से तंग आकर चीन से बाहर निकल रही हैं, वो सबसे पहले उत्तर प्रदेश में निवेश करे। यही कारण है कि जर्मनी की फुटवियर कंपनी से लेकर सैमसंग तक उत्तर प्रदेश में निवेश करना चाहती थीं।

इसके अलावा योगी सरकार ने खिलौनों के क्षेत्र में भी निवेश करने की घोषणा की है, जो कि पीएम मोदी द्वारा मन की बात सम्बोधन से प्रेरित होकर लिया गया निर्णय था। ऐसे में योगी सरकार ने जिस प्रकार से उत्पादकों को निवेश और उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश में अनुकूल वातावरण दिया है, उससे लक्ष्य समय से पहले तो प्राप्त होने ही थे।

लेकिन इस उपलब्धि के पीछे एक और वजह भी है, प्रदेश की सुधरती कानून व्यवस्था। कभी जिस राज्य की बिहार की कानून व्यवस्था से तुलना की जाती थी, आज वहाँ अपराधियों का जीना दूभर हो गया है। जिस समय बिहार में जंगल राज के पुनः प्रारंभ होने पर चिंता जताई जा रही है, और उद्योगपति भी निवेश करने से पहले कई बार सोचते हैं, उसकी तुलना में उत्तर प्रदेश ने निवेशकों और उत्पादकों के लिए एक मिसाल पेश की है, जिसका परिणाम है कि जो उत्तर प्रदेश सरकार एक लक्ष्य को प्राप्त करने में दशकों लगाती थी, अब वही सरकार एक लक्ष्य प्राप्त करने में समय से पहले सफल रही है।

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