चीन के बाजार से जल्द ही बाहर हो सकती है Tesla, इसीलिए एलन मस्क ने किया भारत का रुख

 


अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी Tesla अब भारत में एंट्री करने वाली है। हाल ही में कंपनी ने कर्नाटक के बंगलुरु में अपना ऑफिस खोला है और माना जा रहा है कि कंपनी आने वाले दिनों में राज्य में अपना एक Research and Development केंद्र भी खोल सकती है। Tesla लगातार दुनिया के बड़े बाज़ारों में Electronic कारों के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है। वर्ष 2020 में Tesla ने चीन में बड़ी कामयाबी हासिल की। वर्ष 2020 के पहले 11 महीनों में Tesla ने चीन में 1 लाख 11 हज़ार 600 गाडियाँ बेची, जबकि चीन की सभी ईलेक्ट्रोनिक कार कंपनियाँ मिलकर भी 1 लाख के आंकड़े को पार नहीं कर पाई थीं। हालांकि, Tesla के लिए चीनी बाज़ार का अनुभव हमेशा के लिए इतना सुखद नहीं रहने वाला! चीन Tesla के लिए अब कई बड़ी मुश्किलें खड़ी करने वाला है और यही एक बड़ा कारण हो सकता है कि Tesla अभी से पहले भारतीय बाज़ार की तरफ़ रुख करने जा रही है।

बता दें कि Tesla का भारत में आने का फैसला कोई नया नहीं है, बल्कि Tesla पिछले कई सालों से ही भारत में एंट्री करने पर विचार कर रही थी। वर्ष 2015 में पीएम मोदी Tesla के Headquarters जाकर एलन मस्क से भी मिले थे और वहाँ उन्होंने Tesla को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था। अब करीब 6 वर्षों के बाद Tesla भारत आ रही है, लेकिन इसकी Timing बेहद महत्वपूर्ण है।

Tesla ने अपने पिछले दो से तीन साल चीनी मार्केट पर कब्जा करने में बिताए हैं, और इसमें सफलता की बदौलत ही एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति भी बने हैं। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2020 की तरह वर्ष 2021 एलन मस्क के लिए उतना अच्छा नहीं रहने वाला। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीनी ईलेक्ट्रोनिक कार बाज़ार में अब चीनी सरकार कई चीनी कंपनियों को उतारने के लिए भरपूर समर्थन दे रही है।

Asia Nikkei की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब दो चीनी कंपनी चीनी इलेक्ट्रोनिक कार बाज़ार में Tesla को सीधी चुनौती देने के लिए मैदान में उतर रही हैं। अमेरिकी स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टिड Nio कंपनी इस वर्ष अपनी पहली sedan लॉन्च करने वाली है। जबकि एक अन्य चीनी कंपनी Xpeng Motors इस वर्ष अपनी sedan के दो मॉडल लॉन्च करने जा रही है। वर्ष 2019 के बाद से ही electronic कार बाज़ार पर Tesla ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, और अब ये चीनी कंपनियाँ चाहती हैं कि Tesla को कड़ा कंपीटीशन दिया जाये। भविष्य में अगर ये चीनी कंपनियाँ Tesla से ज़्यादा सफ़ल होती दिखाई देती हैं, तो इन्हें और सहायता प्रदान करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट तंत्र Tesla के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई भी कर सकता है।

Tesla की चीनी प्रतिद्वंदी कंपनियाँ पहले ही Tesla की कुल sales के आंकड़े को छूने की स्थिति में पहुँच चुकी हैं। Nio और Xpeng के अलावा Li कंपनी भी चीनी इलेक्ट्रोनिक कार बाज़ार पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। Nio की electronic SUV तो चीन में इतनी लोकप्रिय है कि वह Tesla के Model 3 से 40 प्रतिशत ज़्यादा महंगी होने के बावजूद भी अच्छी ख़ासी sales रिकॉर्ड कर रही है। ऐसे में चीन में Tesla के प्रभुत्व पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब Tesla को नए बाज़ार की आवश्यकता है और उसने इसीलिए अब भारतीय बाज़ार का रुख किया है।

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