चीन ने सोचा था कि वो आस्ट्रेलिया को उसके खिलाफ खड़े होने के लिए आसानी से सबक सिखा सकता है लेकिन कूटनीतिक बाजियां खेलने में आस्ट्रेलिया ने चीन को मात दे दी है। ऑस्ट्रेलिया ने अपने पूर्वी तटरेखा से दूर वायरस का प्रकोप झेल रहे प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने और ठोस बनाने के अवसर को भुना लिया है।
आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के प्रशासन ने इस क्षेत्र में पूर्ण टीकाकरण के लिए 500 मिलियन डॉलर के पैकेज के रूप में अपने पड़ोसी देशों को देने का वादा किया है। जिससे सभी का सफल टीकाकरण किया जा सकेगा। हाल ही में आस्ट्रेलिया ने फिजी के साथ एक बड़ा करार भी किया है। जिससे एक दूसरे के अधिकार क्षेत्रों में सैन्य सुरक्षा के लिए अभ्यास किए जाते रहें।
खास बात ये है कि द्वीपीय राष्ट्र फिजी चीनी प्रभाव को बढ़ाने समेत निवेश बढ़ाने का एक अड्डा बन गया था। फिजी का मामला ऑस्ट्रेलियाई रणनीति को समझने के लिए एक अच्छा उदाहरण है। आस्ट्रेलिया ने पारंपरिक निवेशक और क्षेत्रीय बड़े भाई के रूप में लंबे समय तक यहां अपना कब्जा जमा रखा था, लेकिन जैसे-जैसे चीनी निवेश बढ़ा, वैसे-वैसे उनका प्रभाव बढ़ता गया। हालांकि, COVID-19 महामारी ने सब-कुछ बदल दिया है और चीन से निवेश लगातार नीचे जा रहा है।
ऐसे में जब चीन की इस क्षेत्र में गैर मौजूदगी बढ़ गई है तो आस्ट्रेलिया के लिए अपना खत्म हुआ प्रभाव दोबारा हासिल करने का अवसर बन गया है। इसके लिए उसके जुझारू रुख अपनाते हुए चीन की कार्यशैली को सबके सामने बेपर्दा करना होगा। ब्लूमबर्ग ने भी बताया है कि, इस क्षेत्र में कोरोनावायरस के प्रकोप और वैक्सीन को लेकर चीन का रुख बेसद ही उदासीन रहा है।
सिडनी के द लोवी इंस्टीट्यूट के थिंक टैंक माने जाने वाले जोनाथन प्राइके ने कहा, “आस्ट्रेलिया प्रशांत क्षेत्र में मित्रता को महत्व दे रहा है।” प्रशांत द्वीपीय सभी देशों को इस वक्त कोविड-19 के संबंध में मदद की आवश्यकता है जो केवल आस्ट्रेलिया द्वारा ही की जा रही है, और इसी के तहत वैक्सीनेशन का ऐलान ऑस्ट्रेलिया ने किया भी है।
चीन की कोरोनावायरस को लेकर पूरी दुनिया में काफी चर्चा हो चुकी है और वह अपनी वैक्सीन कूटनीति को लेकर भी विफल रहा है ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के पास इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने का बेहतरीन मौका है। स्कॉट मॉरिसन सरकार कथित तौर पर विक्टोरियन सरकार और चीन के जिआंगसु प्रांत के बीच एक अनुसंधान समझौते को रद्द करने की योजना बना रही है। ऑस्ट्रेलिया सरकार की इन कार्रवाइयों को लेकर चीन डरा हुआ है और इसे ‘बदले की नीति’ बता चुका है।
ऑस्ट्रेलिया चीन को सबक सिखाने के लिए समय के साथ तेजी से काम कर रहा है। इस बार, उसने प्रशांत द्वीपों से चीनी प्रभाव खत्म कर दिया है और अपने पड़ोसियों के साथ वैक्सीन कूटनीति शुरू कर दी है। शी जिनपिंग ने ऑस्ट्रेलियाई को सबक सिखाने के बारे में सोचा था, लेकिन, ऑस्ट्रेलियाई शी जिनपिंग की नीतियों पर भारी पड़ रहा है।
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