पाकिस्तान से प्रमुख गैर NATO सहयोगी देश का दर्जा छीनेगा अमेरिका, नहीं मिल सकेगा कोई सैन्य लाभ


अमेरिका में सत्ता परिवर्तन भले ही हो गया हो, परंतु पाकिस्तान के साथ संबंध अब पहले जैसे तो शायद ही रहेंगे। दिन प्रतिदिन जिस प्रकार से पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के समक्ष जगजाहिर हो रही है, उसे देख अब अमेरिका सैन्य सहायता से भी हाथ पीछे खींच सकता है, जो पाकिस्तान के लिए किसी आपदा से काम नहीं होगा। 

अमेरिकी संसद के 117वें सत्र के शुरुआत में ही एक विधेयक पेश किया गया है, जिसमें पाकिस्तान की हैसियत को अब तक का सबसे बड़ा झटका देने की क्षमता है। रिपब्लिकन सांसद एंडी बिग्स द्वारा पेश किये गए इस विधेयक के अंतर्गत पाकिस्तान से गैर NATO साझेदार के स्टेटस को वापिस लेने की पेशकश की गयी है।

गैर NATO साझेदार के अंतर्गत पाकिस्तान को कई प्रकार की सैन्य सहायतायें मिलती आई है, जिसमें अमेरिकी रक्षा विभाग के साथ साझेदारी करते हुए पाकिस्तान को सैन्य सहायता मिली है। यह दर्जा बहुत कम देशों को प्राप्त है, जिसमें पाकिस्तान को यह दर्जा 2004 में बुश प्रशासन ने दिया था। 

लेकिन अब जो यह विधेयक लाया गया है, अगर वो पारित हो गया, तो पाकिस्तान को किस प्रकार से नुकसान होगा? यदि यह विधेयक पारित हो गया, तो पाकिस्तान को अमेरिका से जो थोड़ी बहुत भी सैन्य सहायता मिलती आई थी, वो भी मिलनी बंद हो जाएगी। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के पास इस समय जो अमेरिकी शस्त्र उपलब्ध हैं, इस विधेयक के पारित होने के बाद उनके अपग्रेडेशन में भी अमेरिका कोई सहायता नहीं करेगा। ट्रम्प प्रशासन ने 2018 में पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता देने से साफ मना कर दिया था, परंतु पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता अभी बंद नहीं हुई थी। 

लेकिन अमेरिका को ऐसा निर्णय लेने के लिए क्यों बाध्य होना पड़ा है? 60 के दशक के प्रारंभ से ही अमेरिका पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करता आया है, लेकिन उसका इस्तेमाल या तो पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया है, या फिर उसने भारत के विरुद्ध अपने ‘जिहाद’ के लिए इस्तेमाल किया है। जब भारत ने पुलवामा हमले के प्रत्युत्तर में पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों पर हमले किये, तो पाकिस्तान ने जवाब में भारतीय सैन्य संस्थानों पर हवाई हमले किये, जिसमें AMRAAM मिसाइल का उपयोग किया गया, जो केवल अमेरिका द्वारा प्रदान किये गए एफ 16 से ही फायर किये जा सकते हैं। 

इसके अलावा यदि किसी को इस बात का संदेह है कि बाइडन प्रशासन इस विधेयक के पारित होने में बाधा डाल सकते हैं, तो इसकी संभावना बहुत ही कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की सिंध हाई कोर्ट ने हाल ही में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में कारावास की सजा काट रहे अहमद ओमर सईद शेख समेत 4 अपराधियों के तत्काल रिहाई के आदेश दिए थे। 

अब डेनियल पर्ल के हत्यारों का रिहा होना अमेरिका के लिए किसी शर्मनाक घटना से कम नहीं है, और सरकार जिसकी भी हो, अमेरिका ऐसा अपमान कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसे में यदि बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को गैर NATO साझेदारों की सूची से हटाने के विधेयक को पारित करा दिया, तो किसी को कोई हैरानी नहीं होगी।  

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