शी जिनपिंग को अपने आलोचक बिलकुल पसंद नहीं हैं। जिनपिंग के खिलाफ बोलने वालों का हाल वही होता है, जो चीन के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक जैक मा का हुआ! पिछले वर्ष जुलाई में CCP के अंदर से अपने विरोधियों की छंटनी कर उन्हें ठिकाने लगाने के लिए जिनपिंग ने बड़े पैमाने पर “सफाई अभियान” चलाया था, जिसके तहत उन्होंने अपने देश और न्यायिक व्यवस्था से करप्शन हटाने के नाम पर चुन-चुन कर ऐसे अधिकारियों और मंत्रियों को किनारे कर दिया, जिनपर जिनपिंग के खिलाफ जाने का शक था। हालांकि, इसी के कारण अब जिनपिंग के चारों ओर ऐसा Echo Chamber बन चुका है, जिसके कारण उन्हें जमीनी स्थिति के बारे में सही जानकारी मिल ही नहीं पा रही है। यही कारण है कि पिछले वर्ष जिनपिंग प्रशासन ने एक के बाद कई ऐसे फैसले लिए, जो आगे चलकर चीन के लिए बेहद घातक साबित हुए।
Echo Chamber का अर्थ एक ऐसे कमरे से है, जहां सब लोग एक ही विचार को मानने वाले बैठे हों, और जहां सब लोगों की राय एक समान हो! Echo Chamber में वाद-विवाद, सही-गलत के लिए कोई जगह नहीं रहती, ऐसे में सभी लोग बिना चर्चा करे ही सिर्फ उसी की बात मानते हैं, जो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होता है। जिनपिंग ने पिछले कुछ सालों में जिस प्रकार चुन-चुन कर अपने विरोधियों और अपने खिलाफ बोलने वालों को ठिकाने लगाया है, इसके कारण अब उनके चारों तरफ एक बहुत बड़ा Echo-Chamber बन गया है। इसीलिए, वे एक के बाद एक आत्मघाती फैसले लेते जा रहे हैं।
उदाहरण के लिए वर्ष 2020 में कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन ने दुनिया को डराने-धमकाने के लिए Wolf Warrior डिप्लोमेसी का रास्ता अपनाया! Wolf Warrior डिप्लोमेसी के तहत चीन के राजदूतों ने राष्ट्रवाद के नशे में धुत होकर हर देश में गाली-गलौज करना शुरू कर दिया! अक्टूबर महीने में तो फिजी में चीनी दूतावास के अधिकारियों ने सभी राजनयिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ताइवान के एक अधिकारी पर जानलेवा हमला कर दिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि दुनिया में चीन की थू-थू होने लगी और ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप सहित दुनियाभर के बड़े देशों ने खुलकर चीनी wolf warriors की निंदा की।
इसी प्रकार लद्दाख में भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाना चीन के लिए अच्छा फैसला साबित नहीं हुआ। मई महीने में भारत-चीन के बीच विवाद हुआ और इसके बाद जून महीने में दोनों देशों के बीच का संघर्ष खूनी बन गया! भारत ने अपने 20 जवान खोये तो चीन को अपने 60 से ज़्यादा सैनिक खोने पड़े! आज तक चीन को लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों में अपने सैनिक तैनात करने पड़ रहे हैं, जिसके कारण चीन के नन्हें-मुन्ने सिपाहियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। इसी प्रकार अमेरिका के खिलाफ दक्षिण चीन सागर में आक्रामकता दिखाना चीन को इतना भारी पड़ गया कि अमेरिका ने जी-तोड़ मेहनत कर भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को साथ लाकर चीन के खिलाफ शक्तिशाली Quad समूह का गठन कर लिया!
चीन ने जोश में आकर जापान के Senkaku द्वीपों को हथियाने का प्लान बनाया और पिछले वर्ष जापानी जलक्षेत्र में घुसकर उसने जापान को ललकारने का फैसला किया। हालांकि, अब नतीजा यह निकला है कि जापान Senkaku द्वीपों की रक्षा करने के लिए अति-आधुनिक लंबी रेंज वाली anti-ship मिसाइल तैनात करने जा रहा है। इसके बाद चीनी जहाजों के लिए Senkaku द्वीपों के आसपास फटकना भी जोखिम भरा होने वाला है।
इसी प्रकार चीन द्वारा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़ना भी शी जिनपिंग के सबसे घटिया फैसलों में से एक माना जा सकता है। कोरोना महामारी फैलने के बाद जब ऑस्ट्रेलिया ने इस वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग की थी, तो इससे चीन इतना बौखला गया था कि उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भीषण ट्रेड वॉर छेड़ दी थी। चीन ने देखते ही देखते ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले बीफ़, टिंबर, वाइन और कोयले पर प्रतिबंध लगा दिया। ऑस्ट्रेलिया के कोयले के बिना चीन के बड़े-बड़े शहर बिजली संकट से जूझते दिखाई दिये और साथ ही साथ coking कोयले की कमी के कारण अब चीन का स्टील उद्योग भी इस ट्रेड वॉर की जद में आ सकता है।
जिनपिंग आज अपने Echo Chamber के कारण एक घटिया प्रशासक बन गए हैं, जिनकी उनके करीबियों द्वारा तो खूब बड़ाई की जाती है, लेकिन ज़मीन पर उनके फैसलों के कारण करोड़ों लोगों को बड़ी पीड़ाओं का सामना करना पड़ता है।
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