चीन अपने नागरिकों को उनके परिजनों की मृत्यु का शोक भी नहीं मनाने देता अन्यथा देश की बदनामी होगी’

 


यदि आप चीन में हैं, तो आप चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की आलोचना नहीं कर सकते, आप चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आर्थिक नीतियों की आलोचना नहीं कर सकते हैं। यह तो कुछ भी नहीं, अब अगर आप चीन में है तो आप अपने मृतकों का शोक भी नहीं मना सकते।

इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि CCP का यह डर है कि शोक मनाने से दुनिया के सामने चीन में कोरोनावायरस प्रकोप की व्यापकता बाहर आ जाएगी। चीन अब तक कोरोना को चीन में नियंत्रित कर लेने का प्रोपोगेंडा फैला रहा है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

चीन का वुहान शहर जहां से चीनी वायरस की उत्पत्ति हुई, वहाँ चीनी नागरिकों के कई परिवारजनों की मृत्यु हो चुकी है परंतु चीन ने उन मरने वालों की संख्या छुपाने के लिए लोगों को शोक भी मनाने की अनुमति नहीं दी थी। वुहान कोरोनावायरस के प्रकोप का केंद्र था, लेकिन चीन उन लोगों की संख्या को छिपाता रहा, लेकिन अब, इस बात का खुलासा हो रहा है कि चीन ने सिर्फ मृतकों की संख्या को ही नहीं छुपाया बल्कि CCP ने यह भी सुनिश्चित किया कि नागरिक मृतकों के लिए शोक भी प्रकट न करे जिससे दुनिया को यह पता न चल सके कि चीन में मृतकों की संख्या कितनी है।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी लेखिका Ai Xiaoming ने कहा कहा है कि, “जब अन्य स्थानों के लोग वुहान आते हैं, तो उन्हें लगता है कि यहाँ कभी कुछ हुआ ही नहीं।”67 वर्षीय लेखक और डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता ने कहा, “ऐसा लगता है कि वे मृतकों के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं, या परिवारों की भावनाओं से उनका पाला नहीं पड़ा हैं।”

CCP ने यह सुनिश्चित किया है कि वुहान में लोगो की कोरोना से मौत के बाद सार्वजनिक रूप से शोक न मनाया जाए। Ai Xiaoming ने कहा, “चीनी मीडिया इन मुद्दों पर कभी रिपोर्ट नहीं करता है। इन लोगों को अपनी कहानियाँ को सुनाने का कोई रास्ता भी नहीं है।”
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन एक सत्तावदी देश हैं जहां कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं की भावनाओं को छोड़ कर किसी की भावनाओं के लिए स्थान नहीं है। अप्रैल 2020 में प्रकाशित एक NPR की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी नागरिकों को महीनों तक अपने मृत परिवार के सदस्यों को दफनाने की अनुमति नहीं थी। जब अंतिम संस्कार देने की बात आई, तो पड़ोस के अधिकारियों, वुहान अधिकारियों और यहां तक ​​कि कार्यस्थल पर्यवेक्षकों ने कोई गोपनीयता नहीं बरती। जिन लोगों के परिवारजनों की मृत्यु हुई थी, उन्हें अकेले में अंतिम संस्कार करने की अनुमति भी नहीं थी।

NPR ने बताया कि वुहान अधिकारियों ने कब्रिस्तान और श्मशान में लोगों को स्वतंत्र रूप से इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यानि अगर शोक मानना भी है तो अधिकारियों के सामने।
ठीक इसी तरह जब वुहान में एक श्मशान के बाहर अपने रिश्तेदारों की राख को इकट्ठा करने के लिए लोग कतार में लगे थे और उनकी तस्वीर वायरल होने लगी थी तब स्थानीय अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए जल्दी से उन तसवीरों को डिलीट करवा दिया था।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वुहान वायरस पीड़ितों के रिश्तेदारों को शोक मनाने की अनुमति नहीं थी। चीनी साम्यवाद में दु:ख के सार्वजनिक प्रदर्शन करना अमान्य है। चीन ने इसी का एक और उदाहरण तब दिया था जब भारतीय सेना ने पिछले साल जून में गालवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भारी नुकसान पहुंचाया था। तब सीसीपी ने सुनिश्चित किया था कि PLA के मरने वाले सैनिकों की संख्या विश्व को पता ही न चले।

यही नहीं मृतक सैनिकों के लिए किसी स्मारक की व्यवस्था नहीं की गई थी तथा मारे गए सैनिकों के परिवारों को शोक मनाने की अनुमति नहीं थी।
ऐसा लगता है बीजिंग, शोक मनाने को कमजोरी का संकेत समझता है और शोक न मनाकर नकली ताकत का प्रदर्शन करता है। इसका परिणाम्म यह होता है कि नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है और अपने परिवारजनों की मृत्यु पर बिना शोक व्यक्त किए उन्हें अलविदा कहना पड़ता है।

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