सीमा पर खड़े जवान और खेती कर रहे किसान… दोनों ही देश के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन इनकी आड़ में अराजकता और आपत्तिजनक घटनाओं का होना अब एक आम बात हो गई है। राजधानी दिल्ली की सभी सीमाओं पर संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता का तांडव हो रहा है। इन फर्जी किसानों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो वहां रिपोर्टिंग कर रही महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं और उनका यौन उत्पीड़न तक कर रहे हैं,जिसकी पोल इंडिया टुडे की पत्रकार प्रीती चौधरी ने खोली है।
पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे तथाकथित किसानों के आंदोलन में अब तक हम सभी ने खालिस्तानी समर्थकों से लेकर कोरोनावायरस के रोकथाम के लिए बने नियमों का खुलकर उल्लंघन करने वाले असमाजिक तत्वों को देखा है, लेकिन कुछ सच्चाईयां ऐसी भी है जो मुख्यधारा के मीडिया चैनल्स अपने सरकार विरोधी एजेंडे के तहत दिखा ही नहीं रहे हैं। ऐसा ही एक खुलासा इंडिया टुडे की पत्रकार प्रीती चौधरी ने किया है और बताया है कि किसान आंदोलन में अराजकतावादी लोग महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें करते हैं।
उन्होंने अपने रिपोर्टरों के हुई घटनाओं को लेकर कहा कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए उनकी खुद की टीम के पास कई ऐसे वाकये हैं, जब रिपोर्टर को यौन उत्पीड़न झेलना पड़ा। प्रीती का आरोप सच में किसानों की छवि खराब करने वाली है, लेकिन ये भी समझना होगा कि उन किसानों के बीच अब अराजकतावादी लोगों की संख्या पहले से कही ज्यादा हो चुकी है।
उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, “हमारे किसानों ने पहले ही अपनी इज्जत काफी बर्बाद करवा ली है…लेकिन महिला रिपोर्टरों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बाद तो वो लोग खुद का ही अपमान कर रहे हैं। मेरे खुद के रिपोर्टरों के साथ भी इस तरह की घटनाएं हुई है जिसके वाकये आसानी से बताए जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि किसानों को खुद एकजुटता दिखाते हुए उन महिला पत्रकारों के साथ अश्लील हरकतें करने वाले असमाजिक तत्वों को सामने लाना चाहिए। प्रीती ने इस मसले पर किसानों की सीधी आलोचना कर दी थी जिसके बाद एक स्वघोषित किसान समर्थक सामने आया जिसे उनके गुस्से का सामना करना पड़ गया।
भूपेंद्र चौधरी नाम के एक शख्स ने पत्रकारों को ही भला बुरा बोलते हुए कहा कि पत्रकार जबरदस्ती किसानों के बीच आकर बाइट मांगने के लिए उन्हें तंग करते हैं। उन्हें भी इस विषय में सोचना चाहिए। इस बेतुके तर्क पर प्रीती का भड़कना लाजमी था और उन्होंने एक और सच्चाई बताते हुए कहा कि अगर किसी को बाइट नहीं देनी है तो न दे; लेकिन कम से कम किसी महिला पत्रकार को गलत तरीके से छुए भी नहीं, और न ही उसे शरीरिक रूप से छेड़ने की हिम्मत करे। उनका ये भी कहना है कि इतनी भीड़ में महिला पत्रकारों को कौन सा व्यक्ति किस तरफ से छू रहा है, ये किसी को नहीं पता होता ऐसे में किस अकेले शख्स के खिलाफ शिकायत की जाए।
ये वो असलियत है जो इस फर्जी आंदोलन में खूब की जा रही हैं। अपुष्ट खबरें ये भी हैं इंडिया टुडे के आलावा रिपब्लिक टीवी और जी न्यूज की महिला पत्रकारों के साथ भी इसी तरह की घटनाएं हुई है जो कि हैरान कर देने वालीं हैं। जी हिंदुस्तान की महिला पत्रकारों की टीम के साथ भी इन फर्जी किसानों ने कुछ ऐसे ही अश्लीलता की थी जो कि इनकी बदनीयती को दर्शाता है।
किसानों के इस तथाकथित आंदोलन की अराजकता अपनी पराकाष्ठा पूर्णतः पार कर चुकी हैं ऐसे में इस पर पत्रकारों की एक जमात भी इनके खिलाफ खड़ी हो गई है। ये इस बात का संकेत है कि इन अराजक तत्वों के खिलाफ अब सरकार द्वारा कुछ सख्त कार्रवाइयां हो। वरना स्थितियां और बिगड़ सकती हैं।
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