दुनिया को खाद्यान्न संकट से उबरने के लिए भारत से उम्मीद, भारत ने बढ़ाया अपने चावल का निर्यात

 


“यूरोपीय संघ (ईयू) को भारत के बासमती निर्यात में अप्रैल से नवंबर 2020 की अवधि के दौरान अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 71 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।” यह कहना है बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनी KRBL के CMD अनिल मित्तल का। उन्होंने CNBC-TV18 को दिए साक्षात्कार के दौरान यह बात कही।

उन्होंने आगे बताया “भारत ने लगभग 1,40,000 टन ब्राउन चावल ब्रिटेन को निर्यात किया। नीदरलैंड 2020 में 31,000 टन से 56,000 टन तक, 78 प्रतिशत की वृद्धि के साथ दूसरे स्थान पर है और इटली 2019 में 6,800 टन की तुलना में 2020 में 15,818 टन भारतीय निर्यात के साथ तीसरे स्थान पर है।”

गौरतलब है कि भारत के बासमती चावल के निर्यात में यह वृद्धि तब देखी गई है जब इसी अवधि के दौरान बाकी दुनिया में कृषि कार्य बंद थे। यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया को चेताया गया था कि दुनिया पिछले 50 सालों के सबसे भयंकर खाद्यान्न संकट का सामना करने वाली है। तब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि सरकारों ने तत्काल कार्रवाई नहीं कि तो लाखों करोड़ों लोगों पर इसका दीर्घकालिक असर दिखेगा।

कोरोना के कारण बन्द हुई खेती के चलते ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भोजन की कमी की समस्या सामने आने लगी है। पहले से ही खाद्यान्न संकट से जूझ रहे अफ्रीका में, कोरोना के कारण यह समस्या और गंभीर रूप ले रही है। किंतु इसकी चपेट में केवल अफ्रीका जैसा गरीब महाद्वीप ही नहीं, बल्कि यूरोप भी आ चुका है। यहाँ तक की चीन में भी खाद्य सामग्री की कमी के कारण जिनपिंग प्रशासन को ‘क्लीन प्लेट’ जैसी योजना लानी पड़ी और वहाँ सरकार खाने की बर्बादी के खिलाफ सख्त कदम उठाने लगी।

ऐसे में जब दुनिया खाद्य पदार्थों की कमी से जूझ रही है, भारत में कृषि उत्पादन इतना बढ़ गया है कि सरकार को उत्पादन अतिरेक को स्टॉक करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय किसान ने पिछले कई वर्षों बाद 2019-20 में 296.65 बिलियन टन की फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन किया है, जिसने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक बना दिया है।

यही कारण है कि खाद्यान्न की कमी से जूझती दुनिया, भारत को आशा भारी नजरों से देख रही है एवं भारत भी उनकी अपेक्षा के अनुरूप, इस आसन्न खाद्य संकट में मुक्तिदाता बनकर सामने आया है। जहाँ एक ओर चीन का चावल निर्यात घटा है भारत का निर्यात बढ़ा है। यही कारण रहा कि चीन को ही भारत से चावल आयात करने की जरूरत पड़ गई। केवल चीन ही नहीं, सऊदी अरब, ईराक, ईरान, नेपाल आदि देशों में भारतीय चावल की मांग बढ़ी है। अकेले बांग्लादेश, भारत से 5 लाख टन बासमती चावल आयात करने वाला है।

केवल जुलाई में भारत के खाद्यान्न निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यही नहीं, भारत 3.5 से 4 लाख टन गेंहू भी पश्चिम एवं पूर्वी एशिया के देशों को निर्यात करेगा। हमने अपने एक लेख में पहले ही यह बताया था कि कैसे 2020 में भारतीय कृषि सेक्टर ही एक मात्र ऐसा सेक्टर होगा, जिसपर कोरोना का प्रभाव नहीं पड़ेगा। कृषि ही वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारेगी और अब यह बात अक्षरशः सत्य साबित हो रही है।

दुनिया का खाद्यान्न संकट उसे भारत पर निर्भर बना रहा है। ऐतिहासिक रूप से भी जब तक भारत पर विदेशी आक्रांताओं का शासन स्थापित नहीं हुआ था, भारत विश्व का पेट भरा करता था। आज भारत अपने इतिहास को फिर से दोहरा रहा है।

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