सुप्रीम कोर्ट ‘बिक चुका है’, विस्टा प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिलते ही लिबरलों की छाती पर सांप लोटने लगे


देश की उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में केंद्र सरकार को राहत देते हुए बहुप्रतिष्ठित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण को स्वीकृति दे दी। वामपंथियों के चीखने चिल्लाने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने न केवल इस अहम प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि चंद बुद्धिजीवियों की आपत्ति के पीछे देश की प्रगति पर रोक नहीं लगाई जा सकती।

अब यह सेंट्रल विस्टा है क्या? दरअसल, यह प्रोजेक्ट लुटियंस दिल्ली का कायाकल्प करेगी, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत न केवल केंद्र सरकार के अनेक मंत्रालयों के दफ्तरों का निर्माण होगा, बल्कि भारतीय संसद को भी एक नई इमारत और नया स्वरूप मिलेगा। इसका भूमि पूजन भी कुछ ही हफ्तों पहले सम्पन्न हुआ था।

इसी दिशा में एक अहम निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को स्वीकृति देते हुए केंद्र सरकार को निर्माण के दौरान आवश्यक पर्यावरण अधिनियमों का पालन करने की सलाह देते हुए इस परियोजना को हरी झंडी दे दी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार को बस यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्माण के दौरान और उसके पश्चात नए कॉम्प्लेक्स से किसी प्रकार का पर्यावरण को नुकसान न हो, जिसके लिए प्रदूषण रोधी गन प्रक्षेपित करने की सलाह दी गई है।

लेकिन जिस प्रोजेक्ट को रुकवाने के लिए वामपंथियों ने जमीन आसमान एक किया हो, उसके क्लियर होने से भला वे कैसे खुश होंगे? उनके लिए तो मानो अब सुप्रीम कोर्ट ‘बिक चुका है’ और कुछ भी अब अच्छा नहीं होगा। किसी भी अच्छे परियोजना के प्रति वामपंथियों की कुंठा आप कांग्रेस IT सेल के प्रमुख श्रीवत्स के ट्वीट से स्पष्ट पता लगा सकते हैं।

जनाब फरमाते हैं, “पीएम मोदी के नया घर और नए ऑफिस की निजी स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत 20,000 करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है”।

परंतु श्रीवत्स अकेले नहीं है। उनसे एक कदम आगे जाते हुए बड़बोली पत्रकार स्वाती चतुर्वेदी ने तो यह अफवाह फैलानी शुरू कर दी कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण से पुराने संसद क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया जाएगा। मोहतरमा फरमाती हैं, “इस पर हैरान होना है क्या? बस, अब सुंदर से सेंट्रल विस्टा को ध्वस्त होते अपनी आँखों से देखिए”।

ऐसे ही कांग्रेस की एक और प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने अफवाह फैलाते हुए ये इशारा किया कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण से भारत के निवासियों को वैक्सीन देने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा। शमा के ट्वीट के अनुसार, “सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। जहां केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि सभी देशवासियों का जल्द से जल्द वैक्सीनेशन हो, तो वहीं 20000 करोड़ रुपये एक ऐसे प्रोजेक्ट पे फूंके जाएंगे, जिससे आम आदमी का कुछ भी भला नहीं होने वाला”।

कभी भाजपा के NDA सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशवंत सिन्हा भी अपनी कुंठा को नहीं छुपा जाएगा। जनाब ट्वीट करते हैं, “2 से 1 के बहुमत से सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को अपनी स्वीकृति दी है। यह तो होना ही था। बाहुबली के सामने कौन जीत सकता है?”

एक फिल्म में सही संवाद कहा गया था – “अच्छे काम में हाथ कोई नहीं बँटाएगा, पर काम में टांग अड़ाने के लिए सब आ जाएंगे”। जब देश आगे बढ़ेगा, तो कई जगहों और इमारतों का नवीनीकरण आवश्यक है। परंतु कुछ लोगों को अभी भी पुरानी इमारतों से ही प्रेम करना है, चाहे देश की सुरक्षा या देश की अर्थव्यवस्था की बलि ही क्यों न चढ़ जाए।

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