बाइडन को दक्षिण कोरिया का स्पष्ट संदेश, “ट्रम्प की नीति का पालन करो या हम स्वयं कर लेंगे”

 


बाइडन और डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रम्प की घरेलू से लेकर विदेश नीति के हर पहलू को निरर्थक और अमेरिकी हितों का विरोधी बताते रहे हैंl बाइडन के लिए ट्रम्प एक असफल राष्ट्रपति हैं, और वो उनकी हर नीति को पलटने को तत्पर हैं l लेकिन कोरियाई प्रायद्वीप में ट्रम्प की नीति को पलटना बाइडन के लिए आसान नहीं होगा और इसका सबसे बड़ा कारण है अमेरिकी सहयोगी देश दक्षिण कोरिया का रवैया l

ट्रम्प शासन में कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु शस्त्रीकरण को समाप्त करने और परमाणु युद्ध का खतरा समाप्त करने के लिए उत्तर कोरिया के साथ संवाद शुरू हुआ था l दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने अपने हालिया फैसले से यह साफ संदेश दिया है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप को लेकर अमेरिकी नीति में बाइडन को कोई फेरबदल करने से रोकेंगे l

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति Moon Jae-in ने Chung Eui-yongको दक्षिण कोरिया का नया विदेश मंत्री नियुक्त किया है l उनका यह फैसला बाइडन के शपत ग्रहण से कुछ समय पूर्व ही आया है l Chung Eui-yong पहले द० कोरिया के मुख्य सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं तथा सिंगापुर में हुए अमेरिका -उ० कोरिया – द० कोरिया के सम्मेलन में प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे l

2018 में हुए सिंगापुर सम्मेलन में ही ट्रम्प और उ० कोरिया के तानाशाह की ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी और उ० कोरिया को पुनः बातचीत की मेज पर लाया गया था l हालांकि यह मुलाकात, दोनों पक्षों को किसी महत्वपूर्ण नतीजे पर पहुँचाने में असमर्थ रही थी l फिर भी इसने वर्षों के तनावपूर्ण माहौल के बाद पहली बार शांति की संभावना को दिखाया था l ऐसे में दक्षिण कोरिया यह नहीं चाहता कि उ० कोरिया से बातचीत की नीति में बदलाव आए l

समस्या यह है कि बाइडन विदेश नीति में उसी परंपरा का पालन करना चाहते हैं जो शीत युद्ध के समय चलती थी l किंतु वास्तव में अब अमेरिका का उत्तर कोरिया से संघर्ष असम्भव है, क्योंकि वह एक परमाणु हथियार से सम्पन्न देश है l अमेरिका की तुलना में उसकी शक्ति बहुत कम है, ऐसे में कोई भी संघर्ष उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार के इस्तेमाल की ओर भेजेगा l इसका सीधा खतरा अमेरिका को भले न हो, किंतु दक्षिण कोरिया और जापान जैसे सहयोगियों को इससे गंभीर खतरा हो सकता है l

विशेष रूप से दक्षिण कोरिया यह नहीं चाहता कि किसी भी स्थिति में कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़े l अतः कोरियाई राष्ट्रपति Moon Jae-in को इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि बाइडन ट्रम्प की उत्तर कोरियाई नीति को पसंद करते हैं या ना पसंद l उन्हें केवल क्षेत्र में शांति स्थापित करने से मतलब है l

बाइडन ओबामा की तरह ही खुद को लोकतांत्रिक विश्व का रक्षक साबित करना चाहते हैं l वे अमेरिका को उसकी “शेरिफ ऑफ वर्ल्ड” की विदेश नीति की ओर लौटाना चाहते हैं, जिसमें अमेरिका लोकतंत्र के रक्षक की भूमिका में रूस और उसके सहयोगियों तथा अन्य तानाशाही सत्ताओं के विरुद्ध संघर्ष करता था l

किंतु कोरियाई प्रायद्वीप में कोई फेर बदल अमेरिका को उसके महत्वपूर्ण सहयोगी, दक्षिण कोरिया से दूर करेगा l द० कोरिया के लिए उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, न कि बाइडन और उनकी पार्टी के विचार l ऐसे में दक्षिण कोरिया किसी भी स्थिति में अमेरिका के वैश्विक पुलिसिंग में सहयोग करना स्वीकार नहीं करेगा l

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