
हम सबने ये सुना है कि, हंसते रहने से खून बढ़ता है, मन अच्छा रहता है, सेहत एकदम दुरुस्त रहती है । लेकिन क्या कभी किसी ने आपको रोने की सलाह दी है । शायद नहीं, हम आपको बताते हैं । दरअसल हंसने से ज्यादा असरदार है रोना । हम अकसर अपनी भावनाओं को छिपा लेते हैं, दुख तो होता है लेकिन उसे दिखा नहीं पाते हैं । रोना चाहते हैं लेकिन रो नहीं पाते । आगे पढ़ें, रोने से क्या फायदे हैं ।
नेगेटिव एनर्जी रिलीज करने का तरीका
हमें रोना कब आता है, जब हम बहुत उदास होते हैं । हमें किसी की

याद आ रही होती है या फिर मन में कुछ नकारात्मक भाव आ रहे होते हैं । ऐसा तभी होता है जब शरीर में नकारात्मक ऊर्जा भर जाती है, रोने से ये फायदा होता है कि हमारी सारी नेगेटिविटी बाहर आ जाती है और मन भी हल्का हो जाता है । नेगेटिविटी के भाव मन के अंदर रहने से व्यक्ति बीमार भी पड़ सकता है ।आंसूं आंखों को शुष्क होने से बचाता है । शरीर के विषैले पदार्थ हमारी आंखों की अश्रु नलिकाओं से बहते हुए बाहर निकल जाते हैं ।
तनाव मुक्त करते हैं आंसू
रोकर दिल हल्का सा लगता है, दरअसल जब हम रोते हैं तो हमारे दिमाग से एड्रोनेकार्टिकोट्रॉपिक और ल्यूसिन जैसे रसायन उत्सर्जित होते हैं । ये कैमिकल

बॉडी में पॉजिटिव एनर्जी कों बढ़ाते हैं । रोने से मन हल्का होता है, दिल का भार कम होता है और पॉजिटिविटी आती है । न्यूरोसाइंस के प्रमुख जर्नल ‘ऐनल ऑफ न्यूरोसाइंसेस’ के प्रमुख संपादक और न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर अक्षय आनंद के मुताबिक जो व्यक्ति रोते नहीं हैं उनके शरीर में मौजूद एड्रोनेकार्टिकोट्रॉपिक और ल्यूसिन जैसे पॉजिटिव हार्मोन कैमिकल डेड होने लगते हैं ।
रोने वाले शख्स की सेहत रहती है फिट एंड फइन
डॉक्टर्स के मुताबिक तनाव की वजह से शरीर में कई तरह के जरूरी हार्मोन का स्तर कम हो जाता है । कई बार इनमें असंतुलन की स्थिति आ जाती है । हार्मोन डिस्बैलेंस का असर बॉडी पर कई तरह से पड़ता है । लेकिन रोन वाले व्यक्ति के शरीर में हार्मोन

असंतुलित नहीं होते । वो अपना गम आंसुओं के रूप में बहाकर शरीर को अंदर से खुश रखता है । इसके साथ ही ये तनाव को दूर करते हैं, क्या आप जानते हैं तनाव में रहने से दिमाग में ऐड्रिनल और कार्टिसोल नाम के हॉर्मोन के बढ़ जाते हैं । जिनका असर दिल की धड़कनों से लेकर खाने-पीने और डायजेस्टिव सिस्टम पर भी पड़ता है।
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