क्या आजम खान अखिलेश का साथ छोड़ ओवैसी के साथ चुनाव लड़ेंगे?

 


अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए लगभग सभी पार्टी कहीं ना कहीं अपनी तैयारी शुरू कर चुकी हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की तो अलग ही चाल ढाल है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान चुनाव से पहले अखिलेश का साथ छोड़ AIMIM का साथ दे सकते हैं।

ऐसा कैसे? दरअसल, ओवैसी ने हाल ही में घोषणा की थी कि वे 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार , “ओवैसी 13 जनवरी को देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी पहुंचे। यहां उन्होंने स्पष्ट किया था कि सपा उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी है। वाराणसी में उतरने के तुरंत बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि अखिलेश सरकार के शासन (2012 से 2017 तक) के दौरान उन्हें 12 बार यूपी में प्रवेश करने से रोका गया और 28 अवसरों पर उनके आगमन को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया। मैं यहां आ पाया हूं क्योंकि मुझे अनुमति दी गई”।

तो इसका आजम खान से क्या लेना देना है? दरअसल, समाजवादी पार्टी और AIMIM दोनों का एक समान वोट बैंक है – माई दल (यादव और मुसलमान)। AIMIM इसी बात का फायदा उठाते हुए 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

नवभारत टाइम्स की ही रिपोर्ट में आगे कहा गया, “बिहार ने ओवैसी को बड़े पैमाने पर यूपी में AIMIM लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया है। पार्टी 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर चुनाव लड़ी और एक भी सीट नहीं जीती। पार्टी का चुनाव में महज 0.24 फीसदी वोट शेयर रहा। हालांकि, ओवैसी ने घोषणा की है कि एआईएमआईएम कुल सीटों में से लगभग 25 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मतलब यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से AIMIM लगभग 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी”।

ऐसे में यदि ओवैसी को आजम खान का साथ  मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। इसके पीछे सबसे अहम कारण है अखिलेश यादव द्वारा आजम खान की अनदेखी। जबसे विभिन्न मामलों के अंतर्गत आजम को जेल भेजा गया है, तब से अखिलेश यादव को मानो सांप सूंघ गया है। आजम खान का समर्थन तो दूर की बात, वे उनसे मिलने तक नहीं  गए।

ऐसे में ओवैसी के पास आजम खान को अपनी ओर आकर्षित करने और समाजवादी पार्टी के बचे खुचे रसूख को मिट्टी में मिलने का बहुत बढ़िया मौका हाथ लगा है। यदि वे आजम को अपने पाले में लाने में सफल रहे, तो ना केवल उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार मजबूत होगा, बल्कि 2022 में समाजवादी पार्टी का सूपड़ा भी साफ हो जाएगा। ।

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