बाइडन के विदेश सचिव एवं रक्षा सचिव ने ट्रम्प की चीन नीतियों को दिया थम्स अप

 


कोई बाइडन के राष्ट्रपति बनने पर कुछ भी कह ले, पर राजनीति कोई कॉफी प्रीमिक्स नहीं, कि बस काटो, घोलो, और मिला के गटक जाओ। हाल ही में बाइडन द्वारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले उनके भावी मंत्रियों ने ये स्वीकारने में कोई झिझक नहीं दिखाई कि डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के परिप्रेक्ष्य में सही नीति अपनाई थी।

अपने शपथग्रहण समारोह से पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन का मानना है कि चीन के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोई गलत नीति नहीं अपनाई। बाइडन के रुख के ठीक उलट उनका मानना है कि वैश्विक समीकरण पहले जैसे नहीं है, और न ही रूस को अपना परम शत्रु मानने से कोई लाभ मिलेगा।

एंटनी ब्लिंकन के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प ने जो चीन के साथ किया, वो बिल्कुल सही किया, भले ही वे उनकी सभी नीतियों का शत प्रतिशत समर्थन न करें। उन्होंने ट्रम्प द्वारा उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों को ट्रम्प द्वारा नरसंहार ठहराए जाने को भी उचित ठहराया। उन्होंने सीनेट में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस समय अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन है, और जो नीति चीन से मुकाबला करने के लिए स्थापित की गई है, वो सच में बहुत मजबूत होगी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे माइक पॉम्पियो के विचारों से सहमत हैं, तो उन्होंने इस पर सहमति जताते हुए अपनी हामी भारी, विशेषकर उस बात पर, जहां माइक ने चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को नरसंहार ठहराया। लेकिन ये अमेरिका के लिए कम, और चीन के लिए नई अमेरिकी सरकार की ओर से एक कड़ा संदेश था। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका सुनिश्चित करेगा कि ऐसी जगह [शिंजियांग] से कोई भी उत्पाद अमेरिका न पहुँचने पाए, मानो उनका [अमेरिका का] राष्ट्रपति अब भी ट्रम्प है।

वहीं, दूसरी तरफ लॉयड जे ऑस्टिन ने अपने शपथग्रहण से पहले कहा कि वे भारत के ‘अहम रक्षा साझेदार’ को पुख्ता करने में पूरी सहायता करेंगे, और वे QUAD सेक्युरिटी वार्ता को आगे बढ़ाने में भी सहयोग देंगे। उनके लिए भी चीन रूस से अधिक खतरनाक है, और वह इस समय अमेरिका की सबसे बड़ी समस्या भी है।

अपने पूरे चुनावी प्रचार अभियान के दौरान बाइडन ये कहते फिर रहे थे कि ट्रम्प के कारण अमेरिका की छवि राजनीतिक तौर पर कमजोर हुई है, लेकिन उसी के उच्च मंत्री अब ट्रम्प की चीन नीतियों का अनुमोदन कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी समझ में आ गया कि राजनीति कोई अक्कड़ बक्कड़ नहीं, जो एक ही नीति पर चलने से साध ली जाएगी।

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