लगता है योगी आदित्यनाथ द्वारा किये गए कार्यों में उनके प्रतिद्वंदी मिल गए हैं। एक के बाद एक ताबड़तोड़ निर्णयों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि वह किसी भी स्थिति में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर होने वाले अपराधों को स्वीकार नहीं करेंगे। मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराना हो, लव जिहाद के विरुद्ध कड़े कानून लाना हो या फिर राज्य में उत्पात मचाने वाले दंगाइयों की संपत्ति से ही सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई क्यों न करनी हो, शिवराज सिंह चौहान ने योगी मॉडल को आत्मसात करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
हाल ही में प्रेस से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि उपद्रव के मामलों में कड़े प्रावधानों की व्यवस्था की जा रही है, और इसके अंतर्गत पीड़ितों के संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई भी दोषी को अपने जेब से करनी होगी।
पर शिवराज सिंह चौहान को ऐसा निर्णय क्यों लेना पड़ा? इसके पीछे का प्रमुख कारण है मध्य प्रदेश में हाल ही में उज्जैन, इंदौर और मंदसौर जैसे इलाकों में आपसी झड़प और पत्थरबाजी की घटना। शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, “पत्थरबाजी कोई साधारण अपराध नहीं है। इससे लोगों की जान भी जा सकती है, इससे भय और आतंक का माहौल पैदा होता है, भगदड़ मचती है, अव्यवस्थाएँ होती हैं। वह बोले कि इस तरह के अपराधी साधारण अपराधी नहीं होते हैं और इन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। इनके ख़िलाफ़ अभी तक तो मामूली सी कार्रवाई होती थी, लेकिन अब कड़ी सजा का प्रावधान करने के लिए कानून बनेगा। पथराव करने वाले अक्सर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और आगजनी करने का भी सहारा लेते हैं। यहाँ तक कि घरों और दुकानों को भी जलाते है। लोगों को लोकतंत्र में शांति से अपने मुद्दों को उठाने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की स्वतंत्रता नहीं है।”
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन नए कानून के अंतर्गत अगर जरूरत पड़ी तो आरोपितों की संपत्ति को नीलाम करवा कर भी क्षति की भरपाई होगी। इस नए कानून के निर्माण के लिए निर्देश दे दिए गए है।
अभी मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित बेगमबाग इलाके में ‘रामनिधि संग्रहण’ रैली निकालने के दौरान अराजक तत्वों ने हिन्दू संगठन पर पथराव किया था। इस घटना के बाद संज्ञान लेते हुए पुलिस ने उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए न सिर्फ भगोड़े अपराधियों पर रासुका के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया, अपितु जिन घरों से पत्थरबाजी हुई, उन घरों को भी ध्वस्त किया गया –
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये योगी मॉडल का ही अनुसरण है, जिसके बल पर योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ CAA के विरोध के नाम पर उत्तर प्रदेश को दंगों की आग में झोंके जाने से बचाया, बल्कि अपनी अनूठी कार्रवाई से देश भर के लिए एक बेजोड़ मिसाल पेश की। अब योगी के पदचिन्हों पर चलते हुए शिवराज सिंह चौहान अपने राज्य को भी असामाजिक तत्वों के आतंक से मुक्त कराने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
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