यूपी में किसान सम्मान निधि में बड़ा घोटाला, ढाई लाख से अधिक अपात्रों को दिया गया लाभ

 

KISAN

लखनऊ। भारत जैसे देश में घोटाला, भ्रष्टाचार सिस्टम का हिस्सा बन गया है। इमानदार वही है जिसे चोरी करने का मौका नहीं मिला, बाकी जिसको मौका मिला उसने लूट मचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस देश में अक्सर बड़े घोटालों पर ही हो—हल्ला मचता है, छोटे—मोटे भ्रष्टाचार को लोग सिस्टम की प्रक्रिया मान चुके हैं। शायद यही बात है कि जब किसी काम को करवाने की बात आती है, तो लोगों के जुबान पर बरबस आ जाता है कि कुछ ले—देकर काम हो जाएगा। निचले तबके की अगर बात की जाए जो गरीब—किसानों के नाम आते हैं। ये गरीब किसान कितने इमानदार हैं इसका अंदाजा उत्तर प्रदेश में हुए किसान सम्मान निधि घोटाले से लगा सकते हैं। यहां किसान सम्मान निधि का लाभ उठाते ढाई लाख से अधिक अपात्र किसान पाए गए हैं।

गौरतलब है कि छोटे व सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। लेकिन जालसाजों ने इस योजना में सेंधमारी करते हुए ढाई लाख से अधिक अपात्रों को किसान सम्मान निधि का लाभ दे डाला। इन अपात्रों में सबसे ज्यादा 66 हजार लोग शाहजहांपुर, 60 हजार प्रयागराज और 40 हजार अपात्र प्रतापगढ़ में पाए गए हैं। जबकि बरेली में साढ़े 37 हजार अपात्र सामने आ चुके हैं। हालांकि धांधली मिलने के बाद अधिकतर जिलों में अपात्रों से वसूली की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं चर्चा है कि जालसाजों ने किसान सम्मान निधि का पैसा दिलाने के नाम पर अपात्रों से मोटी रकम वसूली थी।

हैरत की बात यह है कि किसान सम्मान निधि का पैसा हड़पने वालों में नौकरी करने वाले और पेंशन पाने वाले लोग भी शामिल हैं। लाभार्थियों का सत्यापन करने वालों ने भी इसमें जमकर लाभ कमाया है। बताया जा रहा है कहीं सुविधा शुल्क लेकर तो कहीं अधिकारियों के दबाव में आकर राजस्वकर्मियों ने अपात्रों को लाभार्थियों की सूची में शामिल कर लिया। अधिकतर जिलों में इस धांधली के लिए लेखपालों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। क्योंकि सत्यापन का काम उन्हीं के हवाले है। अच्छी बात यह है कि गड़बड़ी मिलने के बाद अपात्रों से रकम की वसूली के साथ ही दोषी लेखपालों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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