जानिए, लोगों ने क्यों कहा हार्वर्ड प्रकरण निधि द्वारा ही फैलाया गया एक झूठ है


एनडीटीवी की कभी प्रिय पत्रकारों में से एक रही निधि राज़दान के साथ इस बार गजब हो गया। जिस हार्वर्ड   प्रोफेसर के जॉब के पीछे मोहतरमा खुशी से फूली नहीं समा रही थी, वो असल में धोखा निकला। निधि के अनुसार, वे एक ऑनलाइन स्कैम का शिकार हुई हैं, लेकिन सोशल मीडिया को यह बात हजम नहीं हुई।

निधि के ट्वीट के अनुसार, “मैं एक बहुत बड़े ‘फिशिंग’ अटैक की पीड़ित हूँ। मैं ये बयान इसलिए आपके सामने डाल रही हूँ, ताकि लोगों को समझ में आए कि मेरे साथ क्या बीती है। इससे आगे मैं कुछ भी सोशल मीडिया पर नहीं बता सकती” –

लेकिन निधि को आखिर हार्वर्ड  विश्वविद्यालय से संबंधित ऐसा धोखा कैसे मिला, और ऐसा क्या उन्हे ऑफर मिला था? दरअसल, जून माह में निधि राज़दान ने ये घोषणा की कि उन्होंने हार्वर्ड  विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी मिली है, अब वह एनडीटीवी को अपना त्यागपत्र सौंपने जा रही है। निधि के अनुसार, “आपके लिए कुछ पर्सनल और प्रोफेशनल न्यूज : 21 वर्ष एनडीटीवी में निवेश करने के बाद मैं अब आग बढ़ना चाहती हूँ। मैं हार्वर्ड विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंसेस में बतौर प्रोफेसर पढ़ाऊँगी” –

इसके अलावा निधि ने ये भी ट्वीट किया, “एनडीटीवी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। यह मेरा घर रहा है। मुझे गर्व हैं कि मैंने यहाँ काम किया, कई स्टोरीज़ कवर की, खासकर ऐसे समय पर, जब मीडिया के एक धड़े ने अपनी ऑब्जेक्टिविटी को बेच दिया हो” –

फिर क्या था, निधि को पूरे वामपंथी क्लब की बलाएँ और दुआएँ मिलने लग गई –

लेकिन वो एक दिन था और एक आज का दिन। आज निधि के साथ जो हुआ, उस पर सोशल मीडिया पर उनके साथ संवेदना का तो पता नहीं, पर खिल्ली ज्यादा उड़ाई जा रही है। कुछ ने बराक ओबामा वाला प्रसंग उठाया, जहां पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने निधि को उनके झूठे न्यूज के लिए ट्रोल किया, तो कुछ ने बताया कि ‘हार्वर्ड  में उनके प्रोफेशन के लिए कोई स्कूल या डिपार्टमेंट तो है ही नहीं’ –


लेकिन इससे एक प्रश्न और भी उठता है। जिस निधि राज़दान ने कई बार खुद फेक न्यूज फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, और जिसके लिए सरकार तय करती है कि एसी का टेम्परेचर कितना होना चाहिए, वो एक भ्रामक जॉब ऑफर के झांसे में आ जाए? यह तो वही बात हुई कि कन्हैया कुमार दारा सिंह को धोबी पछाड़ दांव से पटक दे, और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इसके पीछे कोई बहुत बड़ा घपला हो सकता है।

ये सिर्फ हमारा कहना नहीं है, बल्कि निधि के ट्वीट के बाद कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि दाल में कुछ तो काला है –

उदाहरण के लिए इस ट्वीट को देखिए। इस ट्विटर यूजर के अनुसार, “राहुल कँवल का भाई प्रतीक, जो हार्वर्ड  से पढ़कर निकला है, निधि को हार्वर्ड  के कॉन्फ्रेंस में निमंत्रण देता था। इसके बाद उन्होंने निधि को अपने खुद के कॉलेज, कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एड्वाइज़री बोर्ड में शामिल करते हुए उनका पद ‘प्रोफेसर फ्रॉम हार्वर्ड ’ बताया। कुछ तो गड़बड़ है दया!”

इसके अलावा एक यूजर ने ये भी पोस्ट किया, “उसने हार्वर्ड  की कहानी इसलिए बनाई ताकि वह भारत पर अपना प्रभाव जमा सके। अपने सूत्रों से थोड़ा रिसर्च करवाने पर मुझे पता चला कि उनपर अमेरिका में मुकदमा दर्ज किया गया है, क्योंकि उन्होंने हार्वर्ड  विश्वविद्यालय का नाम बदनाम किया है। इसलिए संभव है कि वह इस ‘फिशिंग’ की घटना की रचना भी कर रही हो” –

यदि ऐसा सत्य है, तो निधि राज़दान ने पत्रकारिता के साथ साथ भारत का नाम भी कलंकित किया है। अपने झूठ को सत्य सिद्ध करने के लिए एनडीटीवी के पत्रकार किसी भी हद तक गिर सकते हैं, लेकिन इस हद तक भी गिर सकते हैं, यह किसी ने भी नहीं सोचा था।

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