तुर्की और ईरान को ‘न’, सऊदी और इजरायल को ‘हां’, मौजूदा संकट के बाद कतर का एक नया रूप देखने को मिलेगा


पश्चिम एशिया का एक और देश कट्टरपंथ को समर्थन देने के मार्ग को छोड़, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व वाले देशों की सूची में शामिल हो सकता है। हम बात कर रहे हैं कतर की। दरअसल, 2017 में सऊदी समर्थक अरब देशों के धड़े ने Qatar के साथ अपने कूटनीतिक सम्बंध समाप्त कर लिए थे।

2017 में इन देशों ने Qatar के समक्ष 13 बिंदुओं में अपनी मांगों को रखा था। इसके तहत कतर से कहा गया था कि वह ईरान से अपने सम्बंध खत्म करे, अपने देश में मौजूद तुर्की की सैन्य टुकड़ी को वापस भेजे, अपने देश में कार्यरत ऐसे मीडिया संस्थानों पर रोक लगाए, जो लगातार अरब देशों के विरुद्ध जहर उगला रहे हैं। इन मीडिया संस्थानों में अल जजीरा जैसा बड़ा नाम भी था, इसके अलावा New Arab और Middle East Eye भी शामिल थे। साथ ही कतर को कहा गया था कि वह क्षेत्र में कार्यरत आतंकी संगठनों, जिनमें हिजबुल्लाह, अल कायदा और ISIS शामिल थे, उनको सहायता देना बंद करे।

जब कतर ने अपने ऊपर आतंकी संगठनों की मदद के आरोप को झूठा बताया और इन शर्तों को पूरा नहीं किया तब सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और UAE ने इसके साथ अपने कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए थे। इसके साथ ही कतर पर अरब देशों द्वारा Aerial blockade भी लगवा दिया गया था। माना जा रहा था कि इसके पीछे ट्रम्प प्रशासन का दबाव भी था जो कतर को तुर्की और ईरान धड़े से पूरी तरह अलग करना चाह रहा था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब कतर से 13 सूत्रीय मांग रखने वाले रियाद के नेतृत्व वाला गठबंधन, मंगलवार को सऊदी के अल उला शहर में एक बैठक करने वाला है। इसका मुख्य एजेंडा है कि ये देश कतर के साथ संबंध सुधारने पर विचार कर सकते हैं। ऐसे में यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि Qatar तुर्की धड़े से अलग होकर, अरब देशों की मांग स्वीकार करते हुए उनके साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

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