जकरबर्ग की राह पर एलन मस्क, चाटुकारिता के बावजूद कभी भी चीन से निकाले जा सकते हैं


अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क अपने Tesla ब्रांड को चीन में सफ़ल बनाने के लिए जमकर चीनी सरकार की चाटुकारिता करते रहे हैं। अपने कई Interviews में वे ना सिर्फ चीनी सरकार की तारीफ कर चुके हैं, बल्कि चीनी लोगों को अमेरिकी लोगों के मुक़ाबले ज़्यादा स्मार्ट और मेहनती बता चुके हैं, ताकि चीन में उनके व्यापार को किसी प्रकार से कोई नुकसान ना पहुंचे! हालांकि, ऐसा लगता है कि चीन में अब सरकार एक सुनियोजित तरीके से Tesla के मार्केट शेयर को बर्बाद करने के लिए कदम उठाना शुरू कर चुकी है। चीनी मार्केट में Tesla के बढ़ते दबदबे के साथ ही अब कई चीनी कंपनियाँ भी चीनी मार्केट में अपने नए मॉडल्स को लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में डर है कि कहीं Copyrights और Patent-rights मुक्त इस चीनी बाज़ार में एलन मस्क का हाल ही मार्क जुकरबर्ग जैसा ना हो जाए, जिनकी लाख कोशिशों के बाद भी चीनी सरकार ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया और चीन में फेसबुक को हमेशा हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया।

दरअसल, Asia Nikkei की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब दो चीनी कंपनी चीनी इलेक्ट्रोनिक कार बाज़ार में Tesla को सीधी चुनौती देने के लिए मैदान में उतर रही हैं। अमेरिकी स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टिड Nio कंपनी इस वर्ष अपनी पहली sedan लॉन्च करने वाली है। जबकि एक अन्य चीनी कंपनी Xpeng Motors इस वर्ष अपनी sedan के दो मॉडल लॉन्च करने जा रही है। वर्ष 2019 के बाद से ही electronic कार बाज़ार पर Tesla ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, और अब ये चीनी कंपनियाँ चाहती हैं कि Tesla को कडा कंपीटीशन दिया जाये। भविष्य में अगर ये चीनी कंपनियाँ Tesla से ज़्यादा सफ़ल होती दिखाई देती हैं, तो इन्हें और सहायता प्रदान करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट तंत्र Tesla के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई भी कार सकता है।

एलन मस्क अपनी कंपनी को चीन में सफ़ल बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कार रहे हैं। इसी कड़ी में वे पिछले दिनों जमकर चीनी सरकार की तारीफ भी कर चुके हैं। अपने हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था “चीनी सरकार के साथ मेरे काम करने का अनुभव बहुत शानदार रहा है। वे अपने लोगों की खुशी को लेकर अमेरिकी सरकार से भी ज़्यादा संवेदनशील हैं। जब मैं चीनी अधिकारियों से मिलता हूँ, तो वे पूछते हैं कि क्या ये कदम वाकई हमारे लोगों को खुश कर सकेगा? वे अपने लोगों की खुशी को सबसे ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं।” इतना ही नहीं, पिछले वर्ष कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी खुलासा हुआ था कि Apple और Tesla जैसी कंपनियाँ मानवाधिकार और जबरन मजदूरी से जुड़े चीन विरोधी क़ानूनों के खिलाफ अमेरिका में lobbying कर रही थी, ताकि चीन में उनके operations को कोई नुकसान ना पहुंचे!

चीनी सरकार को लुभाने के लिए आज मस्क जो कुछ भी कर रहे हैं, वह कुछ नया नहीं है। अमेरिकी उद्योगपति अक्सर अपने आर्थिक लाभ के लिए चीनी सरकार की चाटुकारिता करते पाये जाते हैं। मार्क जकरबर्ग भी कभी ऐसी ही उद्योगपतियों में से एक हुआ करते थे। वर्ष 2007 में चीन द्वारा बैन किए जाने के बाद अपनी कंपनी फेसबुक को चीन में स्वीकृति प्रदान करवाने के लिए वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार को लुभाने की कई नाकाम कोशिश कर चुके हैं। जिनपिंग को लुभाने के लिए ना सिर्फ उन्होंने चीन की mandarin भाषा सीखी, बल्कि उन्होंने mandarin में Tsinghua University में एक भाषण भी दिया था। उन्होंने फेसबुक पर चीन की काल्पनिक कहानियों को प्रोमोट भी किया था, लेकिन ये सब जिनपिंग को लुभाने में नाकाम साबित रहा। अब जुकरबर्ग ने भी चीन से उम्मीद छोड़ दी है और उन्होंने खुलकर चीन का विरोध करने का फैसला कर लिया है। हाल ही में उन्होंने Tiktok का भरपूर विरोध किया था और इसे अलोकतांत्रिक घोषित कर दिया था।

फ़िलहाल के लिए चीनी सरकार को tesla की ज़रूरत है। चीन ने लक्ष्य रखा है कि उसे वर्ष 2025 तक अपने कार बाज़ार में एलेक्ट्रोनिक वाहनों की हिस्सेदारी को 20 प्रतिशत तक लेकर जाना है। ऐसे में अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए चीन को Tesla की ज़रूरत है। हालांकि, जैसे ही चीन को लगेगा कि अब उसका घरेलू electronic कार बाज़ार विकसित हो गया है और अब उसके निर्माता उसकी घरेलू जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, ठीक वैसे ही चीन Tesla पर अपनी कार्रवाई करना शुरू कर सकती है, जैसा कि उसने अमेरिका के Tech दिग्गजों जैसे कि गूगल और फेसबुक के खिलाफ की थी।

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