आटा चक्‍की चलाने वाले का बेटा बन गया न्‍यूक्लियर साइंटिस्‍ट, अब्‍दुल कलाम से ली प्रेरणा

 

आटा चक्‍की चलाने वाले का बेटा बन गया न्‍यूक्लियर साइंटिस्‍ट, अब्‍दुल कलाम से ली प्रेरणा

हरियाणा के हिसार जिले के गांव मुकलान की देश भर में चर्चा है, यहां के एक युवक ने कमाल कर दिया है । साधारण से परिवार के इस बेटे ने अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे गांव का नाम रौशन कर दिया है । दरअसल यहां के आटा चक्‍की चलाने वाले का बेटा न्‍यूक्लियर साइंटिस्‍ट बन गया है । गांव मुकलान के अशोक को भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर में परमाणु वैज्ञानिक के तौर पर चुना गया है।

मेहनत और लगन से परीक्षा की पास
परिवार के मुश्किल हालातों के बावजूद अशोक कुमार ने हिम्‍मत का साथ नहीं छोड़ा, अपनी मेहनत से आज वह न्यूक्लियर साइंटिस्ट बन गए हैं । अशोक ने मार्च 2020 में भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर रिक्रूटमेंट की परीक्षाएं दी थी । एक खास बात ये कि अशोक की कामयाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कॉरपरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्‍कीम यानी कि CSR Scheme का योगदान है। इस स्‍कीम के चलते ही वह अपनी इंजी‍निय‍रिंग की पढ़ाई पूरी कर पाए हैं । अशो के मुताबिक वो अपने गणित के एक शिक्षक का योगदान भी हमेशा याद रखेंगे।

16 जनवरी से होगी ट्रेनिंग शुरू
अशोक का दिसंबर में इंटरव्यू के बाद ओवरऑल रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें, अशोक कुमार की ऑल इंडिया सेकंड रैंक आई है । 5 जनवरी को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की ओर से नतीजे घोषित किए गए । अशोक ने बताया कि पूरे देश से सिर्फ  30 छात्रों का चयन हुआ है ।

आटा चक्‍की चलाते हैं पिता
अशोक के पिता मांगेराम के आटा चक्की चलाकर परिवार का पेट पालते हैं। उनके पास एक एकड़ जमीन है । अपने बेटे की उपलब्धि पर माता-पिता को बहुत गर्व है। पिता मांगेराम ने बताया कि उनका बेटा पढ़ाई में शुरू से ही होनहार था। पैसे ना होने के कारण उन्‍होंने उसे सरकारी स्कूल में ही पढ़ाया और अपनी प्रतिभा की बदौलत अशोक आगे बढ़ा है। अशोक तीन भाई- बहनों में सबसे बड़ा है। अशोक बचपन से ही अब्‍दुल कलाम से प्रेरित थे, उनका सपना डॉ. अब्दुल कलाम जैसा वैज्ञानिक बनने का है।

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