विराट कोहली के कमाई के नए तौर-तरीकों में बतौर भारतीय कप्तान सीधे हितों का टकराव संभव

 


पता है विराट कोहली और मोहम्मद अज़हरुद्दीन में क्या समानता है? दोनों व्यक्तिगत रूप से प्रतिभावान खिलाड़ी रहे हैं, और दोनों का ग्लैमर जगत से भी गहरा नाता रहा है। लेकिन बतौर कप्तान दोनों ही प्लेयर अपने नेतृत्व के लिए कम, और विवादों के लिए अधिक चर्चा में रहे हैं। अभी हाल ही में एक बार फिर विराट कोहली विवादों के घेरे में आए हैं, क्योंकि उन पर अपने पद का दुरुपयोग कर लाभ अर्जित करने का आरोप लगा है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “हाल ही में विराट कोहली को Galactus Funware Technology Private Limited में लगभग 33 लाख रुपये के CCD यानि Compulsory Convertible Debentures प्रदान किये गए हैं। यह 10 वर्षों में इक्विटी शेयर में परिवर्तित हो जाएंगे और हर Debenture पर एक इक्विटी शेयर प्राप्त होगा। तद्पश्चात कोहली का इस कंपनी में हिस्सेदारी लगभग 0.05 प्रतिशत हो जाएगी।”

तो फिर समस्या क्या है? दरअसल, Galactus Funware Technology Private Limited वही कंपनी है, जो प्रसिद्ध मोबाइल गेमिंग एप MPL को संचालित करती है। 17 नवंबर 2020 को BCCI ने घोषणा की थी कि NIKE के साथ 15 वर्षीय करार खत्म होने पर अब MPL Sports भारतीय क्रिकेट टीम की नई किट एवं merchandise प्रायोजक होगी। अगले 3 वर्षों के लिए भारतीय क्रिकेट टीम, चाहे सीनियर हो या जूनियर, पुरुष हो या महिला, इनके किट्स MPL Sports ही प्रायोजित करेगी।

मजे की बात यह है कि विराट कोहली इस कंपनी से पिछले दो वर्षों से न सिर्फ जुड़े हुए हैं, बल्कि एक साल से इसके ब्रांड एम्बेसडर भी हैं। ऐसे में जब वह इस कंपनी में बतौर कप्तान निवेश करेंगे, तो ये न सिर्फ बतौर खिलाड़ी उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह BCCI के अधिनियमों का भी उल्लंघन है, क्योंकि कोई भी BCCI से अनुबंधित खिलाड़ी ऐसा कोई भी निजी डील उस कंपनी के साथ नहीं कर सकता, जो BCCI की प्रयोजक हो, यहाँ Conflict of Interest की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

लेकिन यही एक कारण नहीं है जिसकी वजह से कोहली विवादों के घेरे में है। कहने को वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान है, लेकिन वे कप्तानी छोड़कर सब कुछ कर रहे हैं। कभी वे दीपावली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर उपदेश देते फिरते हैं, तो कभी बोर्ड से अनावश्यक सहूलियतें लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, यह कोई अपराध नहीं है, लेकिन जब टीम में सिर्फ एक ही व्यक्ति की सुनी जाए, और बाकी लोगों की याचिका नजरअंदाज की जाए, तो ये शिष्टाचार तो बिल्कुल नहीं कहलाता।

इसके अलावा बतौर कप्तान विराट कोहली अपनी प्रतिबद्धता के लिए सवालों के घेरे में रहे हैं। चाहे विश्व कप 2019 का सेमीफाइनल हो, या फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे का पहला टेस्ट [जो डे नाइट फॉर्मैट में गुलाबी गेंद से खेला गया था], विराट कोहली तो ऐसे खेल रहे थे मानो उन्हें टीम की कप्तानी में कोई रुचि नहीं है, जिसका खामियाजा पूरी टीम को भुगतना पड़ा था। अब ऐसे में जब उनपर अपने पद का दुरुपयोग कर टीम के किट प्रायोजक के साथ एक निजी डील करने का आरोप लगाया गया है, तो विराट कोहली के लिए स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

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