आप सभी ऐसा मानते होंगे कि किन्नरों की दुआ में बहुत ताकत होती है। घर में कोई शुभ काम हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, किन्नर दुआ देने जरूर आते हैं। मगर किन्नरों की जिंदगी जन्म से लेकर मौत तक, बहुत दर्दनाक होती है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। क्या आपको पता है कि किन्नरों का अंतिम संस्कार रात में किया जाता है और केवल यही नहीं, उनके शव को जूते-चप्पलों से बहुत मारा भी जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं किन्नरों के अंतिम संस्कार (Kinnar Dead Body Cremation) से जुडी उन बातों के बारे में जो शायद ही आप जानते होंगे।
ऐसा माना जाता है किन्नरों की छठी इंद्रीय बहुत तेज होती है। इन लोगों को आगे होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है।
कहा जाता है कि किन्नरों को पहले ही मालूम हो जाता है कि उनकी मौत होने वाली है। इस बात के कई प्रमाण दुनियाभर से मिल चुके हैं।
जब किसी किन्नर की मौत होने वाली होती है तो उनके साथ अजीब व्यवहार शुरू कर दिया जाता है। वे कहीं आना-जाना और खाना बंद कर देते हैं। इस वक्त में वे सिर्फ पानी पीते हैं। साथ ही प्रार्थना करते हैं कि वे अगले जन्म में किन्नर न बनें।
किन्नरों के शव को दफनाया जाता है मगर उससे पहले आत्मा को आजाद करने की प्रक्रिया (Soul Liberation Process) की जाती है। शव को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है मगर शव पर कुछ नहीं बांधा जाता।
ये प्रयास रहता है कि मृत किन्नर के शव को समुदाय के बाहर का व्यक्ति न देख पाए। वे मानते हैं कि यदि किन्नर के शरीर को किसी आम जन ने देखा तो वो दिवंगत किन्नर फिर से किन्नर योनि में ही जन्म लेगा। इसी कारण से इनके अंतिम संस्कार के सभी रिवाज रात में ही पूरे किए जाते हैं।
हैरान कारण वाली बात यह है कि किन्नर समुदाय के लोग शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं। इसका कारण है कि अगले जन्म में वह फिर से किन्नर न बने।
किन्नर की मौत के बाद किन्नर समाज उसका कभी मातम नहीं मनाता क्योंकि कहा जाता है कि मृतक किन्नर को नरकीय जीवन से मुक्ति मिल गई है। किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर के रूप में न जन्म न लें।
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