बिहार विधानसभा चुनाव में कम सीटें जीतने का मलाल सीएम नीतीश कुमार को अब तक है, इसका एहसास उनके उस बयान से पता चलता है, जिसमें उन्होने बीजेपी पर परोक्ष रुप से निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए में सीट बंटवारे में हुई देरी की वजह से उनकी पार्टी जदयू को नुकसान उठाना पड़ा, नीतीश के इस बयान ने प्रदेश का सियासी पारा चढा दिया है।
इस बात का मलाल
नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे में हुई देरी की वजह से पार्टी को कई विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा, ऐसा इसलिये क्योंकि उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिये काफी समय मिला, तथा इसका खामियाजा जदयू को उठाना पड़ा, वहीं मैं मुख्यमंत्री बनने के पक्ष में नहीं था, लेकिन बीजेपी और मेरी पार्टी के दबाव में मैंने पद स्वीकार किया।
लोजपा पर निशाना
इसके साथ ही सुशासन बाबू ने लोजपा पर निशाना साधते हुएअ कहा कि हमने जहां भी मांगा, लोगों ने हमारे पक्ष में मतदान किया, हमारी ओर से कोई दुविधा नहीं था, लेकिन मेरे और मेरी पार्टी के खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडा फैलाये गये। जिसका असर चुनाव परिणाम में दिखा।
कौन दुश्मन, कौन दोस्त
इस दौरान नीतीश ने लोगों को ये कहकर चौंका दिया, कि चुनाव के दौरान उन्हें पता ही नहीं चला कि कौन दुश्मन है और कौन दोस्त, चुनाव के दौरान हमने सभी को बुलाकर बात की थी, लेकिन हमें तभी शक हो गया था, नीतीश ने कहा कि हम ये अनुमान लगाने में विफल रहे, कि कौन हमारे दोस्त थे और कौन दुश्मन, किन पर हमेशा भरोसा करना चाहिये, चुनाव प्रचार के बाद हम समझ गये कि चीजें हमारे लिये अनुकूल नहीं थी, लेकिन उस समय तक काफी देर हो चुकी थी। आपको बता दें कि बिहार चुनाव में जदयू की सीटें बीजेपी से भी काफी कम रही, बीजेपी ने जहां 74 सीटें हासिल की, तो जदयू सिर्फ 43 ही जीत सकी, लोजपा नेता चिराग पासवान बीजेपी का समर्थन करते रहे, लेकिन जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर उन्हें नुकसान पहुंचाया।
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