
दिल्ली। धरती पर सबसे कीमती पानी है जो बिना कीमत दिये उपहारस्वरूप मिला है। पानी के बचाने से जीवन कायम है। दुनिया के कई बड़े महानगर अब पानी की वजह से संकट की ओर बढ़ रहे हैं। कई शहरों को पानी निगलता जा रहा है तो कई बड़े शहरों के पास प्यास बुझाने तक के लिए पानी नहीं है। आबादी अब धीरे-धीरे षहर छोड़कर पानी की ओर जाने लगी है। इस्तांबुल तुर्की के सबसे बड़े शहर पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। अगले 45 दिनों में ये शहर बूंद बूंद पानी के लिए तरसने लगेगा। इस्तांबुल में पानी की कमी पिछले 10 सालों में तुर्की के लिए सबसे बड़ी मुसीबत के तौर पर सामने आया है। ब्राजील की राजधानी साओ पाउलो दुनिया के 10 सबसे ज्यादा घनी आबादी वाले शहरों में से है। यहां साल 2015 में ओलंपिक से ठीक पहले पानी की सबसे बड़ी समस्या उठ खड़ी हुई थी। पूरे साओ पाउलो के लिए सिर्फ 20 दिनों का पानी बचा था। अब ये शहर अपने लिए पानी की व्यवस्था को मजबूत कर रहा है। मैक्सिको की राजधानी में 21 मिलियन लोग रहते हैं। यानी दो करोड़ से ज्यादा आबादी है। इस शहर के पास पानी ही नहीं है। अपनी जरूरत का 40 प्रतिशत पानी मैक्सिको दूसरे शहरों से मंगाता है। पानी की कमी से नागरिकों के सामने संकट आ गया है। मिस्र की राजधानी काहिरा बड़े जल संकट से जूझ रहा है। भले ही काहिरा को नील नदी का वरदान कहा जाता है लेकिन यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक काहिरा में साल 2025 तक पीने का पानी बचेगा ही नहीं। पानी नहीं होने से शहरवासियों को दूर से पानी लाना होगा। शानदार देश जापान की सुंदर राजधानी और दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला शहर टोक्यो भीषण जल संकट से जूझ रहा है। यहां 4 महीने पानी बरसता है और टोक्यो के लोग उस पानी को बचाकर रखते हैं। जिस भी साल बारिश कम होती है, उस साल टोक्यो की जनता पानी की कमी का सामना करती है। टोक्यो की जिन्दगी बारिष के पानी निर्भर है।
ऑस्ट्रेलिया में पेयजल की कमी पहले है। मेलबर्न इस समय तेजी से बढ़ती आबादी और पानी की अनुपलब्धता के चलते संकट में है। यहां जंगल में लगने वाली आग ने भूमिगत जल को खत्म कर मेलबर्न को गहरे संकट में डाल दिया है। इंग्लैंड की राजधानी लंदन 2025 से जल संकट का सामना करेगा। भले ही लंदन को टेम्स और ली नदियों से पानी मिलता है लेकिन यह पानी पर्याप्त नहीं है। लंदन में न्यूयॉर्क और पेरिस के मुकाबले बरसात भी कम होती है। अमेरिका के षहर मियामी में वैसे तो भरपूर बारिश होती है लेकिन वर्षा जल संचय के मामले में कमजोर प्रबंधन की वजह से यह शहर अक्सर ही समुद्री पानी पर निर्भर रहता है। मियामी के लिए समंदर का बढ़ता जलस्तर ही खतरा बन गया है।
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