किसानों की मांगों को जब सुप्रीम कोर्ट में रखने का वक्त आया तो भाग निकले किसान नेता बी.एस. मान


अराजकता, दुर्व्यवहार और फिजूल के विरोध का पर्याय बन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन के लोगों को देश की सर्वोच्च अदालत ने अपनी सभी बातों को वाजिब ढंग से रखने का एक बेहतरीन मौक़ा दिया था। इस मौके के तहत एक कमेटी का गठन किया गया था जो कि संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों की वैधता के साथ ही उससे होने वाली हानियों व लाभों का अध्ययन करने के लिए उपयुक्त थी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में एक सदस्य भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान भी थे, लेकिन मान साहब ने किसानों की बातों को, सरकारों और कोर्ट के सामने रखने से ज्यादा अपनी हाशिए पर जा चुकी राजनीति को महत्व दिया; और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से अपने हाथ खींच लिए, जिसके बाद वो किसानों के हक की बात करते हुए लंबी-लंबी डींगें हांक रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि वो इस आंदोलन में किसानों के साथ खड़े हैं। बीकेयू की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए मुझे 4 सदस्यीय समिति में नामित करने को लेकर मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभारी हूं।”

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि वो इस आंदोलन में किसानों के साथ खड़े हैं। बीकेयू की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए मुझे 4 सदस्यीय समिति में नामित करने को लेकर मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभारी हूं।”

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