इंडिगो बिहार प्रमुख की हत्या- नीतीश के राज में एक और जंगलराज की ओर बिहार

 


मंगलवार शाम को बिहार की राजधानी पटना में इंडिगो एयरपोर्ट मैनेजर रूपेश सिंह की हत्या ने सनसनी पैदा कर दी है। विपक्ष चुनाव के दौरान नीतीश पर कानून व्यवस्था न सम्भाल पाने का आरोप लगातार लगा रहा था। ऐसे में मंगलवार देर शाम हुई हत्या ने पुनः, नीतीश के ‘सुशासन’ पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। साथ ही यह भाजपा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है, जिसकी राजनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ गुड गवर्नेंस का नारा भी है।

बिहार अपने आपराधिक इतिहास के लिए जाना जाता है। अपराध का व्यवसायीकरण हो जाने के कारण ही लालू प्रसाद के शासन को जंगल राज कहा गया था। नीतीश कुमार उसी जंगल राज को खत्म करने के नारे के साथ बिहार की सत्ता पर काबिज हुए थे, किंतु अब यही जंगल राज का बट्टा उनकी साख पर भी लग गया है।

बिहार की दुर्दशा के लिए भाजपा नेतृत्व भी जिम्मेदार है। 43 सीट वाली पार्टी को गृहमंत्रालय देना भाजपा का एक गलत फैसला है। नीतीश को मुख्यमंत्री बनाए रखना भाजपा की मजबूरी है तो भी कम से कम गृहमंत्री के रूप में किसी तेज तर्रार नेता की नियुक्ति तो भाजपा कर ही सकती थी, क्योंकि गृह विभाग हमेशा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास ही रहा है और फिर भी कानून व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। यह प्रश्न एक जिद्द की नहीं होनी चाहिए बल्कि राज्य की स्थिति सुधारने के लिए भाजपा को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता थी। यदि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री क्राइम मुक्त बिहार की बात करते हैं तो नीतीश जैसे एक कानून व्यवस्था में फेल हो चुके व्यक्ति के हाथों में बिहार की जिम्मेदारी देकर वह बिहार के लोगों में अपना भरोसा खो रहे हैं।

आंकड़ों की बात करें तो बिहार आज भी अपराध के लगभग हर क्षेत्र में दूसरे नम्बर पर है, जबकि उसकी आबादी उत्तर प्रदेश से करीब आधी है। पिछले पांच सालों में बिहार में मर्डर, डकैती, लूट एवं किडनैपिंग की संख्या बढ़ी है।

वर्षमर्डरलूटडकैतीकिडनैपिंग
2015317816404267127
2016258114103497324
2017280315943258972
20182933173427810310
20193138239939110925

Source :- http://biharpolice।bih।nic।in/menuhome/CDA।htm

वास्तव में बिहार की कानून व्यवस्था उसके उद्धार में सबसे बड़ी बाधक है। बिहार भले ही अच्छी विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है लेकिन इसके बाद भी यहाँ बेरोजगारी दर 12% है जो राष्ट्रीय दर 6.7 से बहुत अधिक है। बिहार की 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी है जो वास्तव में अदृश्य बेरोजगारी की दशा को दिखाता है। कृषि कार्य में व्यस्त अतिरिक्त श्रम, मूलतः इंडस्ट्री में कार्यरत होना चाहिए, जिससे बेरोजगारी की समस्या को ज्यादा बेहतर ढंग से सुलझाया जा सकता था।

खराब कानून व्यवस्था के कारण बिहार कभी भी विदेशी और निजी निवेश का बड़ा केंद्र नहीं बन सका। बिहार की कानून व्यवस्था बदतर से ठीक की स्थिति में आई है, बेहतर नहीं हुई है। सबसे बड़ी बात नीतीश का चेहरा निवेशकों में वैसा भरोसा नहीं पैदा कर रहा जैसा योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में करके दिखाया है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार UP में क्राइम रेट राष्ट्रीय स्तर से कम रहा है। देश की 17% आबादी वाला प्रदेश होकर भी यह पूरे देश का क्राइम रेट का 10 प्रतिशत हिस्सेदार है। इसकी तुलना केरल से करें तो वह क्राइम रेट में 8% प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है जबकि देश की आबादी में केरल का केवल 3% का हिस्सा है।

बिहार में औद्योगिक विकास न होने के पीछे का कारण नीतीश बाबू ये बताते हैं कि हम एक लैन्ड लॉक प्रदेश हैं, हमारे पास समुद्र नहीं है इसलिए हम विकास नहीं कर पाये। परंतु ये नहीं बताते कि खुद वे एक अक्षम मुख्यमंत्री हैं जिनके कार्यकाल में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ी हुई है। किसी भी राज्य में विकास की पहली बुनियाद अपराध पर नियंत्रण करने से शुरू होती है और नीतीश कुमार इसमें विफल साबित हुए हैं। यदि आज बिहार जंगलराज की तरफ जा रहा है तो इसके लिए नीतीश के साथ भाजपा भी जिम्मेदार है। जिसने बिहार के लोगो से किये हुए अपने वादे का मान नहीं रखा और नीतीश जैसे एक अक्षम व्यक्ति को गृह मंत्रालय देकर अपराध के दलदल में बिहार को फंसा दिया।

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