पाकिस्तान को छोड़कर अपने सभी पड़ोसियों को एक करोड़ मुफ़्त वैक्सीन देगा भारत


भारत पड़ोसी देशों के लिए एक बार फिर संरक्षक की भूमिका में सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने पड़ोसी देशों, भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस को 1 करोड़ मुफ्त वैक्सीन देने वाला है। भारत की ओर से यह कदम तब उठाया गया है जब दुनियाभर में विकसित देश पहले अपने हितों को साधने में लगे हैं तथा गरीब देश वैक्सीन एवं मूलभूत दवाओं के लिए भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

किंतु पाकिस्तान को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। पाकिस्तान को उसकी चीन परस्ती, कश्मीर नीति और राज्य समर्थित आतंकवाद का खामियाजा भुगतना पड़ा है। दिवालिया देश पाकिस्तान में वैक्सीन को लेकर अब तक कोई योजना सामने नहीं आयी है, न ही इसके लिए बजट का कोई अता-पता है। ऐसे में मुफ्त वैक्सीन उसे थोड़ी राहत दे सकती थी किंतु अब वह भी उसे हासिल नहीं हो पाएगी।

भारत की वैक्सीन को लेकर पहले से दुनियाभर में उत्सुकता है। दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील जैसे देशों ने पहले ही इसके लिए भारतीय कंपनियों से समझौते कर रखे हैं, साथ ही भारत के पड़ोसी देशों को भी भारत से ही उम्मीद है। वास्तविकता यह है कि चीन और रूस की वैक्सीन को लेकर विश्व में संदेह की स्थिति बरकरार है। जबकि अमेरिकी फाइजर के कारण नॉर्वे में 29 लोगों की मृत्यु हो गई है। ऐसे में भारत की वैक्सीन ही एकमात्र विश्वसनीय वैक्सीन के रूप में सामने आ रही है। वैसे भी भारत को वैक्सीन निर्माण का तजुर्बा किसी अन्य देश से अधिक है। भारत ने पोलियो और टीबी जैसे बीमारियों पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की है, यही कारण है कि दुनिया को भारत से बहुत उम्मीद है।

विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देश, वैक्सीन के लिए भारत पर निर्भर है। यही कारण था कि पहले ही बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका आदि ने इसके लिए भारत से बात शुरू कर दी थी। अकेले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भारत के पड़ोसियों को 2 करोड़ वैक्सीन निर्यात करने वाला है। अब नई रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार स्वयं 1 करोड़ वैक्सीन मुफ्त में देने वाली है।

गौरतलब अधिकांश बड़े एवं साधन संपन्न देश अपने देशवासियों के लिए पहले से बड़ी मात्रा में वैक्सीन की प्री-बुकिंग कर रहे हैं। गरीब मुल्क इस दौड़ में इतने पिछड़ गए हैं कि दुनिया की आर्थिक विषमता का भयावह रूप सामने दिख रहा है, जहाँ हर साधनसम्पन्न देश केवल अपने हित में सोच रहा है। किंतु इसमें एकमात्र अपवाद, भारत है।

यह प्रधानमंत्री मोदी की “Neighborhood First Policy” का एक भाग है। भारत का यह रवैया महामारी की शुरूआत से सामने आया है, फिर चाहे कोविड रिलीफ फंड हो, HCQ दवाइयों का निर्यात हो या वैक्सीन की बात हो। किंतु पाकिस्तान अपने बेवकूफी के कारण इन लाभों से वंचित रह जाता है।

पाकिस्तानी सरकार अपनी सेना और चीन के दबाव के कारण ही भारत विरोध में लगी है। पाकिस्तान इस सत्य को स्वीकार नहीं करना चाहता कि धारा 370 का मामला सदैव के लिए इतिहास का विषय बन गया है। पाकिस्तान आज भी घिसीपिटी रणनीति के तहत कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देना चाहता है, सीमा पर फायरिंग करवाता है, हर छोटे बड़े मंच पर केवल कश्मीर राग अलापता है।

देखा जाए तो पाकिस्तान को वैक्सीन न देकर भारत ने उसे एक कड़वा सबक सिखाया है। शायद अब पाकिस्तान यह सत्य स्वीकार कर ले कि भारत को पराजित करना, उसकी हैसियत से ऊपर है। पराजय तो दूर, आज भारत-पाकिस्तान की कोई तुलना ही नहीं है। 21वीं शताब्दी का सत्य यह है कि भारत दक्षिण एशिया के संरक्षक की भूमिका में है, अब पाकिस्तान को तय करना है कि वह भारत का सहयोगी बनना पसन्द करेगा या चीन-तुर्की का फुटबॉल।

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