चीन के साथ ट्रेड वॉर में ऑस्ट्रेलिया ने साधा अपना पहला निशाना, जिनपिंग के लिए यह लड़ाई दुखदायी रहने वाली है

 


कोरोना महामारी फैलने के बाद जब ऑस्ट्रेलिया ने इस वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग की थी, तो इससे चीन इतना बौखला गया था कि उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भीषण ट्रेड वॉर छेड़ दी थी। चीन ने देखते ही देखते ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले बीफ़, टिंबर, वाइन और कोयले पर प्रतिबंध लगा दिया। ऑस्ट्रेलिया के कोयले के बिना चीन के बड़े-बड़े शहर बिजली संकट से जूझते दिखाई दिये और साथ ही साथ coking कोयले की कमी के कारण अब चीन का स्टील उद्योग भी इस ट्रेड वॉर की जद में आ सकता है। हालांकि, यह तो शुरुआत भर ही है। जिस आग को चीन ने पिछले पाँच-छः महीनों में भड़काया है, वह अब चीन के हाथ जलाने शुरू कर चुकी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अब खुद ऑस्ट्रेलियाई सरकार भी इस ट्रेड वॉर में चीन को झटका देने की तैयारी पूरी कर चुकी है।

South China Morning Post के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया की केंद्र सरकार अब वर्ष 2015 में विक्टोरिया राज्य और चीनी प्रांत जियांगसू के बीच हुए एक शोध कार्यक्रम समझौते को रद्द करने का फैसला ले सकती है। इस समझौते के तहत विक्टोरिया राज्य और जियांगसू प्रांत के Colleges और Universities के शोध कार्यक्रमों को आपस में जोड़ा गया था, और इस कार्यक्रम के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा 2 लाख डॉलर की फंडिंग किए जाने का भी प्रस्ताव था। हालांकि, अब experts मानते हैं कि चीन के साथ इस डील के बाद ऑस्ट्रेलिया की अहम तकनीक चीनी हाथों में लग सकती है। इसलिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार अब इस समझौते पर पुनर्विचार करने का फैसला ले चुकी है। जल्द ही सरकार इसे रद्द करने के फैसले को भी सुना सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह ट्रेड वॉर में ऑस्ट्रेलिया द्वारा लिया गया पहला बड़ा आक्रामक कदम होगा।

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में राज्यों को विदेशी सरकारों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता करने की आज़ादी प्राप्त है। इसी स्वायत्ता का फायदा उठाकर चीनी सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य के साथ ना सिर्फ BRI के तहत कई सारे projects पर समझौते किए हैं, बल्कि शोध कार्यक्रमों से जुड़े कई अहम समझौते भी पक्के किए हुए हैं। हालांकि, दिसंबर 2020 की शुरुआत में ही अब ऑस्ट्रेलिया की संसद ने एक कानून पारित कर ऑस्ट्रेलिया की केंद्र सरकार को यह शक्ति प्रदान कर दी है कि वह किसी भी राज्य द्वारा किए गए समझौते को लेकर ना सिर्फ राज्य सरकार से पूछताछ कर सकती है, बल्कि उन समझौतों को पूर्णतः रद्द भी कर सकती है।

.ऐसे में विक्टोरिया और चीनी प्रांत के बीच हुए इस शोध कार्यक्रम को रद्द कर ऑस्ट्रेलियाई सरकार चीनी सरकार को एक सख्त संदेश भेजना चाहती है कि अगर इस ट्रेड वॉर में चीन एक कदम पीछे नहीं हटता है तो ऑस्ट्रेलियाई सरकार विक्टोरिया में BRI प्रोजेक्ट्स पर कैंची चलाने का काम भी कर सकती है। सच कहें तो ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ऑस्ट्रेलिया से चीन के प्रभाव को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहते हैं। स्कॉट मॉरिसन का संदेश स्पष्ट है – अब चीन की किसी भी हेकड़ी को ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन द्वारा नहीं सहा जाएगा, और जहां जहां भी चीन ने ऑस्ट्रेलिया में निवेश किया है, उन सब जगहों से उसे धक्के मारकर बाहर निकाला जाएगा। अब चूंकि चीन ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक व्यापार युद्ध छेड़ा हुआ है, ऐसे में स्कॉट मॉरिसन और ज़्यादा आसानी के साथ अपने यहाँ चीन विरोधी कदम उठा सकते हैं।

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