भूख की तड़प ने इस बच्चे को कंकाल बना दिया, 7 साल की उम्र में मात्र 7 किलो वजन रह गया है


भूख की तडप क्या होती है यह कोई भूखा व्यक्ति ही बता सकता है। आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें खाने के लाले पड़े है, उन्हें भोजन नसीब नहीं होता है। विश्व स्वास्थ संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, विश्व के संपूर्ण स्वास्थ के लिए भूख स्वयं में ही एक गंभीर समस्या है। विटामिन, पोषक तत्व तथा उर्जा की भारी कमी को भुखमरी कहा जाता है। भुखमरी कुपोषण का चरम रूप है। अधिक समय तक भूखे रहने की वजह से मनुष्य की स्थिति बहुत ही गंभीर और नाजुक हो जाती है और अन्ततः मृत्यु भी हो सकती है।

आज हम आपके सामने भूख की एक ऐसी विकराल तस्वीर लेकर आये हैं जिसे देखकर सभी के रौंगटे खड़े हो जायेंगे। यह कहानी एक ऐसे लड़के की है जिसका शरीर भूख की वजह से कंकाल में बदल गया है। आइये जानते हैं पूरी कहानी…

7 वर्ष की उम्र मे 7 किलो वजन

फैयद समीम यमन का रहनेवाला है तथा इसकी उम्र 7 वर्ष है। भूखे रहने की वजह से 7 वर्ष के फैयद का वजन सिर्फ 7 किलो है तथा वह पैरालाइसिस और बुरी तरह से कुपोषण का शिकार हो चुका है।

स्थिति नाजुक, हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, फैयद समीम की स्थिति बहुत खराब हो गई थी, बहुत मुश्किल से उसकी जान बच पाई है। फैयद को यमन की राजधानी सना के अल शबीन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसका इलाज चल रहा है। सना के हॉस्पीटल में फैयद को भर्ती कराने के लिये उसके परिवार वालों को टूटी हुई सड़क और भिन्न-भिन्न चेकपॉइन्ट को पार करते हुये 170 किमी का लम्बा सफर तय करना पड़ा।

इलाज के लिये परिवार के पास पैसे नहीं

फैयद के इलाज के लिये उसके परिवार के पास पैसे नहीं है जिस वजह से वह इलाज के लिये डोनेशन पर निर्भर है। स्थानीय अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि देश में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।



स्थिति में पहले से सुधार

अल शबीन अस्पताल के कुपोषण वार्ड के सुपरवाइजर डॉक्टर रागेह मोहम्मद ने बताया, “फैयद को जब हॉस्पीटल लाया गया तो उस समय उसकी स्थिति इस कदर खराब थी कि वह कुछ देर का ही मेहमान लग रहा था लेकिन अल्लाह का शुक्र है कि सही समय पर सही कदम उठाकर फैयद की जान बचाई गई।” डॉक्टर ने कहा कि फैयद सेरब्रल पॉल्जी और गंभीर कुपोषण से ग्रस्त है। अब उनकी तबियत में पहले से बेहतर हो रही है।

संयुक्त राष्ट्र का मनाना है कि यमन विश्व का सबसे बड़े मानवीय संकट झेल रहा है। आपको बता दें कि यमन को आधिकारिक तौर पर अकाल घोषित नहीं किया गया है परंतु 6 वर्ष की लड़ाई के बाद देश की 80% जनसंख्या सहयता के भरोसे जीवन यापन कर रही है।

वर्ष 2018 के आखिर में संयुक्त राष्ट्र के कोशिशों की वजह से राहत कार्य में तेजी आई थी लेकिन COVID-19 की वजह से उसमें समस्याएं आ गईं। यमन की आर्थिक स्थिति बाढ़ और अन्य कारणों से भी बहुत खराब हो गई है।

आपकों बता दें कि वर्ष 2015 से ही यमन युद्धों से जुझ रहा है। यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन की लड़ाई ईरान के समर्थन हुती आंदोलनकारियों से ही रही है। इस युद्ध में 1 लाख लोग मारे जा चुके हैं तथा लड़ाइयों की वजह से देश भी बंट चुका है। इसका अर्थ है कि युद्ध कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। यमन की राजधानी सना सहित प्रमुख शहरी क्षेत्रों पर हुतियों पर कब्जा है।

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