जानिए, कैसे अनुच्छेद 370 के हटने का सीधा फायदा कश्मीर के लगभग 35,000 केसर की खेती वाले किसानों को हुआ


मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय कई मायनों में अब रंग ला रही है। इस निर्णय के कारण अब केसर की खेती करने वाले किसानों को भी अपने उत्पाद न केवल उचित दाम पर बेचने का अवसर मिल रहा है, बल्कि आतंकियों द्वारा निरंतर उगाही से भी छुटकारा मिल रहा है।

हाल ही में ये सामने आया है कि कश्मीर के केसर किसानों को आतंकी टैक्स चुकाने से मुक्ति मिली है। ये टैक्स आतंकियों एवं अलगाववादियों को केसर की खेती करने वालों द्वारा चुकाना पड़ता था। आतंकियों का केसर के व्यापार पर काफी प्रभुत्व था, जिसे तोड़ना प्रशासन के लिए बिल्कुल भी सरल नहीं था। 

अब केसर न केवल पूरे देश में बेचा जा सकता है, बल्कि इसे वैश्विक बिक्री के लिए भी बाहर भेजा जा सकता है। इससे पहले केसर के व्यापार में लिप्त व्यापारियों को अलगाववादी संगठनों की जेबें भरने के लिए विवश होना पड़ता था। लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहली बार ये हुआ कि भारत के विभिन्न कोनों, विशेषकर कानपुर और दिल्ली से भर भर के केसर की बिक्री हो रही है। 

अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से पहले कश्मीरी केसर का भाव करीब डेढ़ लाख से ढाई लाख रुपये प्रति किलो था। लेकिन इस प्रकार से कीमतें अब महज 90000 रुपये के आसपास आ चुकी है, तो आप भली-भांति समझ सकते हैं कि आतंकियों का केसर की खेती पर कैसा प्रभाव था। इसके अलावा जिस प्रकार से कश्मीर के विशेषाधिकार वापिस लिए गए हैं, उससे सबसे अधिक फायदा गैर कश्मीरी ट्रेडर और सबसे अधिक नुकसान कश्मीर के अलगाववादियों को ही हुआ है।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से इस क्षेत्र के आम लोगों के साथ साथ किसानों को भी जबरदस्त फायदा हो रहा है, क्योंकि आतंकियों को न सिर्फ नेस्तनाबूद किया जा रहा है, बल्कि भारत विरोधी तत्वों की अच्छी खासी खबर भी ली जा रही है।

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