मीडिया का 24 घंटे Anti Vaccine प्रोपेगैंडा, लोगों में भारतीय टीके को लेकर डर फैला रहा हैं!


कोरोनावायरस की वैक्सीन के आने के बाद पूरे देश में सकारात्मकता की एक लहर दौड़ रही है। देश में पहले फेज के अंतर्गत वैक्सीनेशन का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे भी है, जो इस मुद्दे पर नकारात्मकता फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा है कि कुछ राजनीतिक पार्टियों के द्वारा वैक्सीन पर भ्रम फैलाया जा रहा है, जिससे लोगों में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा हो गई है और ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से लेकर वैक्सीन की विश्वसनीयता पर लगातार मीडिया द्वारा की जा रही रिपोर्टिंग भी बेहद घातक है, जो कि लोगों के मन में वैक्सीन के प्रति नकारात्मकता ला रही है।

साइड इफेक्ट्स को लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया है कि अब तक देश में 8 लाख लोगों का वैक्सिनेशन हो चुका है लेकिन गिनती के लोगों में ही साइड इफेक्ट्स के मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि इतने साइड इफेक्ट्स किसी भी साधारण वैक्सीन में भी होते हैं लेकिन इससे किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं होता है। TFI अपनी रिपोर्ट्स में बता चुका है कि किस तरह से कुछ वामपंथी मीडिया संगठन इस मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा रिपोर्टिंग कर रहा है, जिसके चलते लोगों में वैक्सीन के प्रति नकारात्मकता आ रही है और ये बेहद ही अफसोस की बात है।

वैक्सीन और उसके साइड इफेक्ट्स को लेकर लगातार हो रही नकारात्मक रिपोर्टिंग के मुद्दे पर डॉ हर्षवर्धन ने काफी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले लोगों के प्रति भी अपना सांकेतिक गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा“दुर्भाग्य की बात है कि देश में कुछ लोग जानबूझकर केवल राजनीतिक कारणों से वैक्सीनेशन के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं। इससे समाज के एक छोटे वर्ग में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा हुई है। सरकार चाहती है कि जिन लोगों के मन में दुष्प्रचार के कारण गलतफहमी हुई हैउनको भी वैक्सीन नहीं लेने के कारण कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।

इसके अलावा ये भी सामने आया है कि लोगों द्वारा हिचक के कारण देश के कई प्रदेशों में वैक्सीन की बर्बादी भी हो रही है। खबरों के मुताबिक वैक्सीन खुलने के बाद चार घंटे के अंदर लोगों को दे दी जानी चाहिए, वरना उसका असर खत्म हो जाता है। एक अनुमान के मुताबिक यदि प्रतिदिन 100 लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य है तो झिझक के कारण केवल 55 फीसदी लोग ही इस वैक्सीन को लगवा रहे है। इसके चलते बड़ी मात्रा में वैक्सीन की बर्बादी हो रही है। इसके लिए कहीं न कहीं वही लोग जिम्मेदार हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर वैक्सीन का दुष्प्रचार किया है।

ये कोई नई बात नहीं हैं, भारत में कोई भी काम जब विश्व के अगड़ी पंक्ति के देशों से पहले शुरु होता है तो उस मुद्दे पर राजनीति हो ही जाती है। कुछ भारतीयों के मन में विदेशी चीजों को लेकर एक भावना है कि विदेशी चीज है, मतलब अच्छी ही होगी। इस मामले में भी अब ऐसी ही स्थिति आ गई है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर लगातार रिपोर्टिंग की जा रही है।  इसमें ANI से लेकर PTI तक की मीडिया एजेंसियां भी शामिल हैं। ये सभी दिल्ली से लेकर पूरे देश के एक-एक वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से जुड़ी रिपोर्ट दे रहे हैं और फिर मुख्य धारा की न्यूज कंपनियां अपने-अपने एजेंडे के अनुसार काम करते हुए खबर दिखा रही हैं।

इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों की स्थिति में भी कोई खास अंतर नहीं है। इन लोगों ने इस मुद्दे पर केवल इसलिए विरोध का रास्ता चुना है क्योंकि सब-कुछ मोदी सरकार के कार्यकाल में हो रहा है। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी तक वैक्सीन के मामले में अजीबो-गरीब बयान दे रही है। केवल राजनीतिक ही नहीं, इस मामले में लगातार नपुंसकता होने तक की बेबुनियाद भी कही जा रही हैं।

ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों और मीडिया कंपनियों को इस मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का भ्रम दूर करना चाहिए, क्योंकि वैक्सीन किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं लगाई जा रही है, बल्कि मानव समाज की रक्षा के लिए इसे सभी को लेना चाहिए और दूसरों को भी इसके प्रति जागरुक करना चाहिए।

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