सरकार को मौलिक अधिकार सिखाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने नहीं भरा बकाया 15 करोड़ टैक्स, खाते हुए फ्रीज़


देश में अराजकता फैलाने के लिए कुख्यात हो चुका अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अब एक नई मुसीबतों में पड़ गया है। अलीगढ़ नगर निगम ने विश्वविद्यालय पर बकाया पैसा होने के चलते उसके एसबीआई के बैंक खाते को सीज कर दिया हैं। दिलचस्प है कि ये वही यूनिवर्सिटी है जहां सीएए और एनआरसी का सबसे ज्यादा विरोध किया गया था।

जहां कानून का ठीक से पालन तक नहीं किया जा रहा है और वहां के ही कुछ अराजक लोग देश की सरकारों को ज्ञान दे रहे हैं कि क्या सही है क्या गलत।
एक रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम का बकाया न देने के कारण ही मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय कुमार राय के नेतृत्व में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एसबीआई वाले बैंक खाते को सीज कर दिया गया है।

अधिकारी का कहना है कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पर नगर निगम का संपत्ति कर ब्याज सहित बकाया करीब 15 करोड़ 31.03.2021 रुपए का है , जिसका बिल नगर निगम ने एएमयू प्रशासन को भेजा था लेकिन उस पर कोई जवाब नही आया है।

इस मामले में एएमयू के खिलाफ कार्रवाई करने वाले मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय कुमार राय ने कहा, “भुगतान न करने के कारण उ.प्र. नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं 507, 509 व 513 के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए नगर निगम, अलीगढ़ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के संचालित खाता को तत्काल प्रभाव से अटैच/सीज किया गया है।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “अगर 1 हफ्ते के अंदर इन्होंने पेमेंट नहीं किया तो हम खाते से रिकवरी नियमानुसार करेंगे। रिकवरी कंप्लीट नहीं होती है तो हम इनकी अचल संपत्ति की अटैचमेंट की कार्रवाई करेंगे।”

अलीगढ़ प्रशासन का ये बड़ा कदम यूनिवर्सिटी के लिए एक झटके की तरह ही है।
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसकी बड़ी प्रतिष्ठा है। इसके बावजूद नगर निगम उसके रवैए पर सख्त है। ये कार्रवाई एमयू उऩ अराजक इस्लामिक प्रशंसकों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, जो मोहम्मद अली जिन्ना को एक बौद्धिक वक्त वाले शख्स के रूप में देखने की प्रेरणा देते हैं।

ये एक ऐसा विश्विद्यालय है जहां इस्लामिक कट्टरता को दिन-ब-दिन बढ़ावा मिल रहा है। सरकार के खिलाफ बेतुके बयानबाजी को यहां अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर देखा जाता है जो कि पूर्णतः बेबुनियाद है। ऐसे में इन लोगों को विरोध के अलावा टैक्स जमा करने का ध्यान नही रहता होगा, लेकिन अब अंजाम भुगतना पड़ेगा।

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