‘पैसों के लिए जान का व्यापार’, सिनेमाघरों में 100% ऑक्यूपेंसी को मंजूरी देने के खिलाफ हैं सभी डॉक्टर

 


कोरोनावायरस के कारण यक़ीनन वित्तीय स्थितियां बुरे दौर में हैं, पर इसका मतलब ये नहीं कि कुछ अराजकतादी फैसला ले लिया जाएं। इसके इतर तमिलनाडु की पलानीस्वामी सरकार ने सिनेमाघरों में 100 फिसदी दर्शकों को मंजूरी दे दी है जिसके बाद एक डाक्टर का पत्र वायरल हुआ है। इसमें वो डाक्टरों की दिक्कतें बताते हुए सरकार के इस फैसले को गैरजिम्मेदाराना बता रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार भी इस संबंध में राज्य को नोटिस जारी कर चुकी है।

दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने कोरोनावायरस की महामारी के इस दौर में एक गैरजिम्मेदाराना फैसला लिया था और तमिलनाडु में सिनेमाघरों की मौजूदा सीटिंग क्षमता को बढ़ाकर 100 फीसद कर दिया गया है। इसके अलावा सभी सिनेमाघरों, थिएटर और मल्टीप्लेक्स में मौजूदा 50 फीसद की क्षमता को बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया है। इसके साथ ही कोरोना महामारी के चलते जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।  खास बात ये है कि तमिल अभिनेता विजय समेत कई फिल्मी सितारों ने राज्य सरकार से पोंगल से पहले 100 प्रतिशत क्षमता के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद ये फैसला अचानक ले लिया गया। ऐसा लगता है कि फिल्मी सितारों के लिए जनता की जान की कोई कीमत नहीं है और राज्य सरकार भी उनका साथ दे रही है।

राज्य सरकार के इस फैसले पर काफी लोग हैरान है क्योंकि कोरोनावायरस अभी खत्म नहीं हुआ है। पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में कथित तौर पर जूनियर रेजिडेंट रह चुके डाक्टर अरविंद श्रीनिवास ने अपने एक पत्र में कहा है कि वो और पुलिस समेत अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स, पिछले 8 महीनों की मेहनत से थके हुए हैं। उन्होंने 100 फीसदी सिनेमाघरों को खोलने के फैसले को सुसाइड की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा, इस फैसले को “मानव हत्या” कहा जा सकता है क्योंकि राजनेता और अभिनेता भीड़ के साथ फिल्म देखकर खुद को खतरे में नहीं डालते हैं।” उन्होंने कहा, “यह एक कठोर वित्तीय लालसा वाली प्रणाली हैजो केवल पैसे के लिए व्यापार करती है।

डाक्टर अरविंद ने कोरोनावायरस के खतरे को उजागर करते हुए कहा है कि कहा, “हम अभी भी खतरे में हैं लेकिन ये फैसला निराशाजनक है।” सिनेमाघरों को खोलने के फैसले पर ये पत्र तो अकेला अरविंद का है लेकिन बात हर एक फ्रंटलाइन वर्कर की है। इसीलिए राज्य सरकार की चारों तरफ से आलोचना हो रही है।

इसको देखते हुए अब गृह मंत्रालय भी एक्शन में आ गया है। गृह मंत्रालयन ने कहा, कोई भी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम के दिशा निर्देशों को हल्का या बदल नहीं सकता है।” केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, 28 दिसंबर 2020 को जारी गाइलाइंस के मुताबिक ही राज्य में कोरोना नियमों का पालन होना चाहिए।” साफ है कि तमिलनाडु की सरकार को अपना फैसला वापस लेना होगा, और लेना भी चाहिए बल्कि इस संबंध में भविष्य में सच समझकर ही फैसरा लेना चाहिए क्योंकि कोरोनावायरस का खतरा खत्म नहीं हुआ है।

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