जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे चीन से कंपनियां बाहर निकल रही हैं तो वहीं यूपी में विदेशी कंपनियों का मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ रहा है। अब ऐसा लगता है कि चीन को हुए नुकसान का फायदा उत्तर प्रदेश को ही हुआ है और वह चीन को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए एक चुनौती दे रहा है।
कोरोना ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ऐसा असर डाला है कि ये किसी स्थान या देश के लिए वरदान साबित हुआ है तो किसी देश के लिए बड़ा नुकसान। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से जिन देशों का सबसे अधिक नुकसान हुआ है उनमें चीन का नाम तो सबसे प्रथम स्थान पर है वहीं, अगर फायदे की बात करें तो वियतनाम और भारत जैसे देश जहां चीन से बाहर जाने वाली कंपनियों ने भारी निवेश किया है। भारत में भी उत्तर प्रदेश ने जिस स्तर से इन सभी कंपनियों को आकर्षित किया, उससे लगता है कि यूपी अब मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में चीन को चुनौती देते हुए उससे भी आगे निकल जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को कहा कि उसने 20,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और केवल तीन वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीन लाख नौकरियां प्रदान करने के पांच साल के लक्ष्य को 3 ही वर्षों में प्राप्त कर लिया है।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, जिन्होंने आईटी पोर्टफोलियो भी अपने पास रखा है, उन्होंने कहा कि चीन, ताइवान और कोरिया की कई प्रतिष्ठित कंपनियां ग्रेटर नोएडा में 100 एकड़ भूमि में विकसित की जा रही हैं। राज्य की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने की इच्छुक हैं।
उन्होंने भविष्य के प्लान के बारे में बताते हुए कहा कि “यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी -2017 के क्रियान्वयन के बाद, अब 2022 तक पांच वर्षों में IT के क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश और तीन लाख रोजगार सृजित करने का लक्ष्य है”।
सरकार ने अब 40,000 करोड़ रुपये के निवेश को उत्तर प्रदेश में लाने और नए यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी 2020 के अनुसार चार लाख नौकरियां पैदा करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि 2020 नीति के तहत, राज्य में ESDM यानि Electronics System Design & Manufacturing उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तीन Centre of Excellence प्रस्तावित किए गए हैं, जिसमें से Li-ion Cell manufacturing की फ़ैसिलिटी के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है।
आईटी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (STPI) द्वारा राज्य के सभी 18 मंडलों में लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ आईटी पार्क विकसित किए जा रहे हैं। मेरठ, आगरा, गोरखपुर और वाराणसी में इन आईटी पार्कों में परिचालन आगामी वर्ष की पहली छमाही में शुरू होने की उम्मीद है।
वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरियाई उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख सैमसंग नोएडा में एक स्मार्टफोन डिस्प्ले विनिर्माण सुविधा में लगभग 5,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने दावा किया कि यह संयंत्र चीन में Covid-19 के फैलने के बाद भारत में स्थानांतरित होने वाली बड़ी परियोजनाओं में से एक था।
कोरोना ही नहीं, बल्कि कोरोना के पहले ही यूपी सरकार ने विदेशी कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षित करने के लिए योजना पर काम शुरू कर दिया था। आज तक की एक रिपोर्ट बताती है कि यूपी में पिछले तीन सालों में योगी सरकार ने 186 सुधार लागू किए। इसका नतीजा ये हुआ कि यूपी में 156 देशी-विदेशी कंपनियों ने 48 हजार 707 करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है।
वहीं, 174 अन्य ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने यूपी में करीब 53, 955 करोड़ के निवेश की तैयारियां शुरू कर दी हैं और 429 कंपनियों की सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं और निवेशक प्रोजेक्ट शुरू करने वाले हैं।
कोरोना के कारण चीन को डंप करने वाली कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए वह सभी सुविधा मिल रही हैं जो उन्हें आवश्यक है जिससे वे अधिक से अधिक निवेश के लिए आकर्षित हो रही हैं। यानि आने वाले समय में चीन को अपदस्थ कर उत्तर प्रदेश विश्व की फ़ैक्टरी बनने की दिशा में अग्रसर है।
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