दुनिया के ताकतवर देशों के समूह The Five Eyes को लोकतांत्रिक विश्व में सबसे शक्तिशाली निकाय के रूप में देखा जाता है और इसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, के अलावा अमेरिका और यूके शामिल हैं। पिछले कुछ दिनों से इस समूह में आंतरिक तनाव देखा जा रहा है। ऐसा लगता है कि चीन के दबाव में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो और कीवी समकक्ष Jacinda Ardern ने सरेंडर कर दिया है।
हालांकि, Five Eyes के अन्य नेता जैसे ट्रम्प, बोरिस जॉनसन और स्कॉट मॉरिसन ने अब कनाडा और न्यूज़ीलैंड के राजनीतिक नेतृत्व को लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को साबित करने के लिए एक कठिन परीक्षा सामने रख दिया है। अब इस समूह द्वारा चीन पर एक साथ मिल कर आर्थिक प्रतिबंधों की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अभी तक चीन का साथ दे रहे कनाडा और न्यूज़ीलैंड के सामने यह परीक्षा है कि वह लोकतान्त्रिक देशों का साथ दे या फिर चीन के दबाव में ढह जाए।
NewsCorp की रिपोर्ट के अनुसार Five Eyes समूह के भीतर चीन पर प्रतिबंधों के मुद्दे पर प्रारंभिक चर्चा हो रही है। और इन प्रतिबंधों की शुरुआत चीन के ऑस्ट्रेलिया पर लगातार लगाए जा रहे टैरिफ के खिलाफ किया जा रहा है। Daily Mail की रिपोर्ट के अनुसार अब Five Eyes के नेता चीनी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए एक तरीका निकालने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस समूह के भीतर सहयोग का एजेंडा में सबसे ऊपर है। ये देश एक साथ मिल कर चीनी सामानों के खिलाफ समन्वित प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं। यही नहीं, एक और तरीका यह हो सकता है कि कैनबरा चीनी सामानों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगा दे और Fives Eyes के अन्य देश चीनी निर्यात को ही रोक दें।
ऑस्ट्रेलिया चीनी आक्रामकता का सबसे बड़ा शिकार रहा है। जौ, मीट के ले कर वाइन जैसे ऑस्ट्रेलियाई वस्तुओं पर चीन ने टैरिफ लगा दिया है।
बावजूद इसके कनाडा और न्यूज़ीलैंड ने कोरोना के बाद से ही चीन का पक्ष लिया है। चीन और न्यूजीलैंड दोनों ने बीजिंग के साथ अपने करीबी संबंधों को आगे बढ़ाया है। हालांकि, वे बीजिंग के “Hostage Dipolomacy” के शिकार रहे हैं और इसके एवज में उन्हें चीन के मानवाधिकार हनन के खिलाफ बयान देना पड़ा हैं।
हाल ही में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को शीत-मौसम में सैन्य रणनीति सीखाने के लिए ट्रूडो ने आमंत्रण दिया था। यही नहीं Ardern सरकार ने चीन के खिलाफ वाले बयान पर हस्ताक्षर भी नहीं करने के फैसला लिया था। इसके अलावा, कनाडा और न्यूजीलैंड दोनों में राजनीतिक नेतृत्व अक्सर चीन पर नरम रुख अपनाते हुए देखा गया हैं।
जिस तरह से चीन ने दुनिया भर में कोरोना फैलाया और उसके बाद आक्रामकता दिखाई है, उसके लिए आज भी दुनिया को विशुद्ध रूप से कूटनीतिक स्तर पर उसके खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन करने की आवश्यकता है। यही कारण है कि जब चीन ने दो कनाडाई नागरिकों- Michael Kovrig और Michael Spavor को चीन ने Hostage Diplomacy का सहारा लिया था तब ट्रम्प ने कनाडा का पूर्ण समर्थन किया था।
हालांकि, यह भी देखा गया है कि स्वयं स्कॉट मॉरिसन भी अपने कीवी या कनाडाई समकक्षों की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने से परहेज करते रहे हैं। फिर भी, यूके, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने अब यह समझ लिया है कि Jacinda और Justin अपने चीन प्रेम के कारण इस खुफिया समूह को कैसे कमजोर कर रहे हैं।
चीन विरोधी प्रतिबंधों को प्रोत्साहित करके, Five Eyes के नेता- मॉरिसन, ट्रम्प और जॉनसन ने दो चीन समर्थक नेताओं के सामने एक कठिन परीक्षा रख दी है। Jacinda और Justin को अब सिर्फ बयान ही नहीं बल्कि चीन के खिलाफ एक्शन लेने के लिए भी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध किया जा रहा है।
यदि दुनिया की सबसे शक्तिशाली देशों ने एक साथ मिल कर चीन के खिलाफ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कदम उठाया तो यह एक तीर से दो निशाने लगाने जैसा होगा। पहला तो यह कि चीन पर व्यापारिक प्रतिबंधों के बाद आने वाले भूचाल को रोकने का भी प्लान तैयार करेगा और दूसरा यह कि कनाडा और न्यूज़ीलैंड के नेताओं की लोकतान्त्रिक दुनिया के प्रति वफादारी का सुबूत भी देगा जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों द्वारा खड़े होने का दावा करते हैं और फिर भी चीन के साथ सहयोग करते हैं। अब, उनसे लोकतांत्रिक दुनिया के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए एक वास्तविक परीक्षा ली जा रही है।
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