जिनपिंग को नहीं थी भारत के QUAD में बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद, भारत ने दिया जोरदार झटका

 


चीन की गुंडई से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। चाहे दक्षिण चीन सागर या पूर्वी चीन सागर का समुद्री मोर्चा, या फिर भारत तिब्बत बॉर्डर का समुद्री मोर्चा हो, चीन ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों की नाक में दम कर के रखा है। विशेषकर भारत के साथ वह कुछ ज्यादा ही बदतमीजी कर रहा था, क्योंकि उसे लगा कि भारत पलटके जवाब नहीं देगा। लेकिन भारत न सिर्फ पलटके जवाब दे रहा है, बल्कि चीन की आशाओं के ठीक विपरीत शक्तिशाली QUAD समूह का एक सक्रिय सदस्य भी है।

उदाहरण के लिए जापान के उप रक्षा मंत्री यासुहीदे नाकायामा के बयान के बारे में ही पढ़ लीजिए। हाल ही में उन्होंने WION से अपनी बातचीत में बताया कि कैसे भारत एशिया का प्रमुख केंद्र बन सकता है, और कैसे चीन के प्रति उसकी वर्तमान भावना चीन की गुंडई के चलते स्वाभाविक है। 

भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए नाकायामा ने ये भी कहा कि भारत को और अधिक सक्रिय हो कर इंडो पैसिफिक क्षेत्र की स्वतंत्रता और QUAD के बेहतर भविष्य के लिए योगदान देना चाहिए। लेकिन ये सुनते ही चीनी प्रशासन के छाती पर मानों सांप लोटने लगे। ग्लोबल टाइम्स ने तो अपने लेख में ये भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता के आदर्शों के चलते वह कभी भी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से अपने संबंधों में निकटता नहीं बढ़ा सकता। 

चीन को ऐसा लगता है कि भारत कभी भी अमेरिका के नजदीक इसलिए पूरी तरह से नहीं जा सकता क्योंकि इससे वह रूस को हमेशा के लिए खो देगा। शायद इसीलिए दो वर्ष पूर्व QUAD की संभावना पर चीनी  विदेश मंत्री वांग यी ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा था कि यह समूह तो ‘समुद्र पे झाग’ के समान है, जो जल्द ही उड़नछू हो जाएगा। लेकिन अब ये ‘समुद्री झाग’ एक सशक्त संगठन का रूप ले रहा है, जो चीन द्वारा इंडो पैसिफिक क्षेत्र पर वर्चस्व जमाने के ख्वाबों को ध्वस्त करने के लिए एकजुट हो रहा है, और यही बात चीन को हज़म नहीं हो रही है –

चीन न तो चाहता था कि भारत QUAD का सक्रिय सदस्य हो, और न ही उसे इस बात की उम्मीद थी। लेकिन अब उसकी आशाओं के विपरीत भारत ने QUAD में अपना  स्थान स्थापित कर लिया है, जिससे चीन के हाथ पाँव फूलने लगे हैं। ऐसे में अब चीन को मानो भागे रस्ता नहीं मिल रहा।

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