इंडो पैसिफिक में चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने का सबसे बढ़िया तरीका यह है कि उसके दो सबसे नजदीकी पड़ोसियों यानि वियतनाम और फिलीपींस को ही उसके खिलाफ कर दिया जाये, या इन देशो में चीन विरोधी ताकतों का वर्चस्व बढ़ाया जाये! Quad की यह रणनीति अब काम करती दिखाई दे रही है और फिलीपींस ने चीन को आँख दिखाते हुए दक्षिण चीन सागर में arbitration ruling के तहत दावा ठोक दिया है।
दरअसल, WTO की 24 नवंबर को हुए Negotiating Group on Rules-Fisheries Subsidies की बैठक के दौरान फिलीपींस की ओर से मत्स्य पालन और जलीय संसाधन सहायक निदेशक Drusila Esther Bayate ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण दक्षिण चीन सागर से चीन के सभी दावों को खारिज कर चुका है। इस क्षेत्र पर पर चीन का कोई अधिकार नहीं है। इसका मतलब है कि हमारे 200-नॉटिकल मील के Exclusive Economic Zone [EEZ] में किसी प्रकार की बाधा नहीं है।“ उन्होंने आगे कहा कि, “मार्चिंग ऑर्डर का उद्देश्य हमारे लाभ को संरक्षित करना था क्योंकि यह अब अंतरराष्ट्रीय कानून का हिस्सा है।”
बता दें कि वर्ष 2016 में द हेग के Permanent Court of Arbitration ने चीन को करारा झटका देते हुए फिलीपींस के पक्ष में निर्णय सुनाया था, और चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर के पूरे क्षेत्र पर किए जा रहे दावों को गलत बताया था। ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया कि चीन ने फिलीपींस के संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन किया था और कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करके “कोरल रीफ़ के पर्यावरण को गंभीर नुकसान” पहुंचाया था।
फिलीपींस कुछ महीने पहले तक यह तय नहीं कर पा रहा था कि उसे अमेरिका के साथ जाना है या चीन के साथ, परन्तु अब फिलीपींस यह समझ गया है कि चीन उसका दोस्त नहीं है, बल्कि वह पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में करने के लिए उससे दोस्ती कर रहा था। परंतु अब फिलीपींस के पास QUAD देशों का समर्थन प्राप्त है और वह लगातार चीन के खिलाफ एक्शन ले रहा है।
कुछ दिनों पहले ही यह खबर आई थी कि भारत फिलीपींस को खतरनाक Brahmos मिसाइल मुहैया करा सकता है। इसके बाद फिलीपींस चीन के खतरे से निपटने के लिए और ज़्यादा सशक्त हो जाएगा। बात सिर्फ सैन्य सहयोग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक पीटीए यानि Preferential Trade Deal डील करने को लेकर बातचीत चल रही है जिसके तहत दोनों देश आपसी ट्रेड बढ़ाने के साथ ही उत्पाद शुल्कों में कटौती करने का फैसला लेंगे। वहीं, अमेरिका भी फिलीपींस के साथ अपने Visiting Forces Agreement को अपग्रेड करना चाहता है। स्पष्ट है कि QUAD देश पूरी तरह से फिलीपींस की आर्थिक और रणनीतिक दोनों तरह से मदद कर रहे हैं जिससे यह देश अब पूरी तरह से चीन के खिलाफ दिखाई दे रहा है।
कुछ दिनों पहले ही फिलीपींस के राष्ट्राध्यक्ष Rodrigo Duterte ने तेल और गैस की खोज पर लगे छह वर्ष पुरानी रोक को हटा दिया, जिसके बाद अब फिलीपींस अपने समुद्री जल क्षेत्र में शोध कर सकेगा। इसके लिए REED बैंक सहित तीन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। बता दें कि REED बैंक पर चीन दावा करता आया है लेकिन इस बार फिलीपींस ने चीन को ठेंगा दिखाते हुए तेल एवं गैस की खोज के लिए ऊर्जा विभाग को स्वीकृति दी है। यही नहीं कुछ दिनों पहले ही यह रिपोर्ट आई थी कि फिलीपींस चीन के ही तर्ज पर समुद्री क्षेत्र के लिए एक लड़ाकू सेना तैयार कर रहा है, जो चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में की जा रही गुंडई का मुकाबला करेगी।
अब फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में arbitration ruling के तहत दावा ठोक कर इशारा कर दिया है कि अब चीन की गुंडागर्दी नहीं चलने वाली है। दक्षिण चीन सागर में अब न तो उसकी धमकी चलने वाली और न ही उसके दावे।
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