महीनों का प्रोपगैंडा, हिंसा और PM मोदी की 1 स्पीच: कैसे फर्जी किसान आंदोलन ध्वस्त हो गया


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन दिवस के अवसर पर देशभर के करीब 9 करोड़ से अधिक किसानों को संबोधित किया और किसान सम्मान निधि के अंतर्गत उनकी किस्त के रूप में कुल 18000 करोड़ रुपये का अनुदान किया। उन्होंने इस अवसर का लाभ उठाते हुए विपक्षियों के फैलाए प्रपंच को जमकर धोया और दिल्ली एवं पूरे देश को जलाने की उनकी मंशा पर बुरी तरह पानी फेर दिया।

पीएम मोदी ने 9 करोड़ किसानों को संबोधित करते हुए पहले तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के अंतर्गत 2000 रुपये की किस्त के रूप में 18000 करोड़ रुपये का अनुदान किया। इसके बाद उन्होंने कई किसानों से उनका हालचाल एक वर्चुअल सम्बोधन में पूछा। इतना ही नहीं, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के एक किसान से स्पष्ट तौर पर पूछा कि उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ तो मिल रहा है न, और उन्होंने जब पूछा कि क्या इसके लिए निजी कंपनियों ने किसानों की जमीन छीनी, तो किसान ने ना में उत्तर दिया।

पीएम मोदी का उद्देश्य इस वार्तालाप से विपक्ष द्वारा फैलाए भ्रम के उस मायाजाल को तोड़ना था, जिसके अंतर्गत ‘किसान’ के भेष में कई अराजकतावादी पिछले कई दिनों से दिल्ली के आसपास कई सड़कों पर कब्जा जमाए हैं। उन्होंने विपक्ष के सफेद झूठ की ताबड़तोड़ धुलाई करते हुए कहा, “जो आज विपक्ष में है, ये वो लोग हैं जिन्हें भारत की जनता नकार चुकी है, और ये पहले इस विषय पर मौन थे। जो राजनीतिक पार्टियां जनता द्वारा नकारी जा चुकी हैं, वो अब इवेंट मैनेजमेन्ट कर रहे हैं, ताकि कोई उनकी तस्वीर ले और उनकी फोटो अखबार में छपे”।

पीएम मोदी ने कांग्रेस, वामपंथी दल और तृणमूल कांग्रेस की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केरल के खोखले विरोध की पोल खोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मैं उनसे एक बात पूछना चाहता हूँ जो इस समय केरल में सत्ता में आसीन है। जो मंडियों के महत्व को इतना रेखांकित कर रहे हैं, वे केरल में क्यों नहीं प्रदर्शन कर रहे, जहां एक भी मंडी नहीं है। अगर मंडी इतनी ही लाभकारी है, तो पहले केरल में खोलिए, ये पंजाबी किसानों को क्यों भड़का रहे हैं आप? उनसे पहले एक पार्टी थी जिसने राज्य और देश दोनों पर ही लगभग 50 वर्ष राज किया। तब उन्होंने किसानों के लिए कुछ नहीं किया, और अब वे चाहते हैं कि किसान विरोध प्रदर्शन करे”।

परंतु पीएम मोदी इतने पर नहीं रुके, क्योंकि ममता बनर्जी की धुलाई तो अभी बाकी थी। पीएम मोदी के अंध विरोध में जिस प्रकार से ममता बनर्जी ने 70 हजार से भी अधिक किसानों को मिलने वाले किसान सम्मान निधि एवं अन्य सुविधाओं पर जानबूझकर रोक लगाई है, उसपर आक्रामक रुख अपनाते हुए पीएम मोदी ने कहा,

“मैं हैरान हूं ये देखकर कि बंगाल के 70 हजार किसानों को इस योजना से वंचित रखा गया है, जो देशभर के किसानों को कितना लाभान्वित कर रहा है। अपने राजनीतिक हित साधने के लिए बंगाल सरकार किसानों तक यह लाभ पहुंचने ही नहीं देना चाहती है। पश्चिम बंगाल के कई किसानों ने खुद केंद्र सरकार को पत्र लिखे हैं कि वे स्वयं इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं, परंतु ममता बनर्जी इसे लागू ही नहीं कराना चाहती। ऐसा कोई राज्य नहीं जहां इस योजना को न लागू किया गया हो, परंतु बंगाल में इस योजना पर प्रतिबंध लगाया है”।

दरअसल, पीएम मोदी ने एक ही भाषण में उन सभी देशद्रोहियों की मंशाओं पर पानी फेर दिया है, जो महीने भर से दिल्ली के आसपास डेरा जमाकर सिर्फ इसलिए आम जनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, ताकि किसी भी तरह केंद्र सरकार कृषि कानून वापिस लें, और उनकी धांधलेबाज़ी बेरोकटोक जारी रहे। परंतु मोदी जी ने भी अपने भाषण से इन अराजकतावादियों को स्पष्ट कर दिया – जब तक भ्रष्टाचार की कमर तोड़ेंगे नहीं, तब तक तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।

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