दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो जितना मिलता है उसे अपनी किस्मत मानकर सुतुष्ट होकर जीते हैं, दूसरे वो जो अपनी काबीलियत के दम पर किस्मत पलटने का दम रखते हैं । कुछ ऐसी ही कहानी है प्रेम सुख डेलू की । राजस्थान के बीकानेर जिले के रासीसर के रहने वाले प्रेम गुजरात कैडर के अमरेली में आईपीएस पद पर काम कर रहे हैं, लेकिन ऊंट गाड़ी खींचने वाले के बेटे के लिए ये सफर आसान नहीं था ।
किसान परिवार में पले-बढ़े
प्रेम सुख डेलू एक किसान परिवार से आते हैं, पिता एक किसान थे जिनके पासज्यादा जमीन नहीं थी, वो ऊंटगाड़ी चला कर लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम किया करते थे । परिवार में किसी ने भी स्कूल इमारत तक नहीं देखी थी, लेकिन प्रेम बचपन में ही शिक्षा के महत्व को समझ गए थे । खूब मेहनत कर अपने दम पर पढ़ाई की । गांच के सरकार स्कूल से ही पढ़ने वाले प्रेम आज गांव का नाम रौशन कर रहे हैं ।
हायर एजुकेशन के लिए मेहनत की
इसके बाद आगे की शिक्षा प्रेम सुख ने बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से प्राप्त की । उनकी लगन से अध्यापकों को पहले ही अंदाजा हो गया था कि वो कुछ बहुत बड़ा करने वाले हैं । प्रेम ने इतिहास विषय में एम. ए. किया, गोल्ड मेडलिस्ट रहे । इसके अलावा इतिहास विषय में यूजीसी-नेट और जेआरएफ की परीक्षा भी पास की । उनका लक्ष्य एक अच्छी नौकरी प्राप्त करना था जिससे परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके ।
भाई ने दी प्रेरणा
साल 2010 था जब प्रेम ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, तब उनके भाई जो कि राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल हैं उन्होंने प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया । प्रेम ने राज्य में पटवारी की भर्ती का आवेदन कर दिया । जिसमें उनका चयन भी होगा । लेकिन इसके बाद वो रुके नहीं, एक के बाद कई प्रतियोगी परीक्षाएं देते रहे । नौकरी के साथ प्रेम ने बीएड परीक्षा पास की तथा नेट का एग्जाम दिया । जिसमें पास होकर वो लेक्चरर भी बन गए । इसी दौरान उनके अंदर सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने का जुनून जागा । कॉलेज में पढ़ाने के साथ वो अपनी पढ़ाई भी करने लगे । इस बीच उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में तहसीलदार के पद हेतु परीक्षा दी, इसमें भी वो सफल रहे । तहसीलदार के पद पर रहते हुए ही प्रेम ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी । नौकरी के बाद बचे हुए समय में वो मन लगाकर पढ़ाई करते । आखिरकार ये परीक्षाएं भी उन्हें हरा नहीं सकीं । प्रेम को गुजरात कैडर मिला तथा उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली में एसीपी के पद पर हुई । आईपीएस अफसर बनकर उन्होंने पहली सलामी अपने माता-पिता को दी ।
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