अपने निकम्मे सैनिकों के Genes में बदलाव कर अब उन्हें लड़ने योग्य बना रहा है चीन


Hollywood फिल्म्स जैसे “Captain America”, “Bloodshot” और “Universal soldiers” में “Super Soldiers” की भूमिका को भलि-भांति दिखाया गया है। Super Soldiers का अर्थ ऐसे सैनिकों से होता है जिन्हें विज्ञान की मदद से “Human testing” की बदौलत कुछ विशेष और असाधारण शक्तियाँ प्रदान कर दी जाती हैं। फिल्मों में और खासकर Hollywood में यह सब अक्सर मनोरंजन के लिए दिखाया जाता रहा है। हालांकि, अब लगता है कि चीन वाकई विज्ञान के सहारे अपने PLA के सैनिकों में जैविक बदलाव कर उन्हें “Super Soldiers” बनाने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि उनके सहारे पूरी दुनिया पर PLA का दबदबा बढ़ाया जा सके।

दरअसल, अमेरीकन Intelligence के अध्यक्ष John Ratcliffe ने हाल ही में अपने एक लेख में यह दावा किया है कि चीनी सेना जैविक रूप से छेड़छाड़ कर अपने सैनिकों को Super Soldiers बनाने पर काम कर रहा है। इसीलिए, चीन आज दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उनके अनुसार इस बात के सबूत मिले हैं कि चीन मनुष्यों के Genes में बदलाव कर उन्हें Super-Humans बनाने की तकनीक पर काम कर रहा है। उनका यह भी मानना है कि चीनी सेना अपने आप को आधुनिक बनाने के लिए Biotechnology के इस्तेमाल से स्वस्थ मनुष्यों की कार्यक्षमता बढ़ाने की फ़िराक में हैं और फिर ऐसे मनुष्यों को वह अलग-अलग क्षेत्रों में इस्तेमाल कर सकता है।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर चीन को PLA सैनिकों के Genes में बदलाव करने और उन्हें और ज़्यादा मजबूत करने के लिए ऐसी तकनीक का सहारा क्यों लेना पड़ रहा है। इसका उत्तर बड़ा सीधा सा है! यह बात किसी से छुपी नहीं है कि चीनी सैनिकों की कार्यक्षमता फिलहाल अपने अमेरिकी, रूसी और भारतीय समकक्षों से बेहद कम है। कई सारी मीडिया रिपोर्ट्स और शोध इस बात का दावा करते हैं कि चीनी सेना “one child policy” के तहत जन्में इकलौते बच्चों से भरी पड़ी है, जिन्हें बड़े ही लाड़-प्यार से पाला गया होता है, और उनमें लड़ने का ज़रा भी हौसला नहीं होता।

चीनी सेना PLA अपने “बिगड़ैल” सैनिकों को सही रास्ते पर लाने के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाती है, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं होने के कारण अब चीनी सेना को विज्ञान की तरफ ही मुंह मोड़ना पड़ रहा है। जब से वुहान वायरस दुनिया भर में तांडव मचा रहा है, तभी से पूरा विश्व चीन के विरुद्ध मोर्चा संभाल चुका है, और बौखलाहट में चीन साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में अपनी गुंडई दिखाकर अपने आप को महा शक्तिशाली सिद्ध करना चाहता है, मानो वह किसी भी प्रकार के युद्ध हेतु पूरी तरह तैयार है। परन्तु सच कहें तो चीन के पास वास्तव में युद्ध करने का अनुभव लगभग ना के बराबर है। चाइना ने वास्तव में पिछले डेढ़ सौ सालों में एक भी ढंग का युद्ध नहीं लड़ा है। जब भी उसने किसी से युद्ध लड़ा है, उसने सदा मुंह की खाई है।

ऐसे में PLA के पास अभी सिर्फ एक ही विकल्प दिखाई दे रहा है और वह है विज्ञान के इस्तेमाल से अपनी सैनिकों में जैविक बदलाव करना! जिनपिंग ने वर्ष 2027 तक अपनी सेना को आधुनिक सेना बनाने और वर्ष 2050 तक अपनी सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अब चीनी सेना ने अपने आप को आधुनिक बनाने का यह खतरनाक रास्ता अपनाया है। हालांकि, यह अभी कहा नहीं जा सकता है कि चीन अपने इस मंसूबों में कितना सफ़ल हो पाएगा।

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