पाकिस्तान के इस विश्वविद्यालय में Engineering विभाग नहीं है, फिर भी चीन ने Engineering में इसे Oxford से भी बेहतर रैंकिंग दी

 


अगर दो घनिष्ठ मित्र एक दूसरे के किए हुए गलत कार्यों पर झूठ बोलते हैं तो इससे अच्छा दोनों के लिए क्या ही हो सकता है। पाकिस्तान और चीन की दोस्ती भी ऐसी ही है। ये वैश्विक स्तर पर अलग-थलग होने के बावजूद एक साथ हैं, कारण, चीन पाकिस्तान को एक इस्लामिक उपनिवेश बनाना चाहता है।  पाकिस्तान को लुभाने के लिए चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्गत चलने वाली एजेंसी ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में पाकिस्तान के भी कुछ विश्विद्यालय शामिल हैं।

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की रैंकिंग देने वाली शंघाई अकादमी ने पाकिस्तान के  कुछ विश्वविद्यालयों को भी विश्व स्तरीय सूची में शामिल कर सम्मानित किया है जो पाकिस्तान के लिए तो एक क्षणिक खुशखबरी की तरह ही है। इसमें से एक कायद-ए-आजम भी शामिल है। यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग को 2017 में 75-100 के बीच रखा गया था। जिसके बाद लगातार इसकी रैंकिंग सुधर रही है, लेकिन 2020 में तो कुछ चमत्कार ही हो गया है और यह यूनिवर्सिटी 51-75 की रैंकिंग में पहुंच गई है। इसे मैकेनिकल विश्वविद्यालय के तहत रखा गया है, लेकिन ये फिर भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अधिक है।

इसमें कोई शक नहीं है एजेंसी ने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर को कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी को इस सूची की रैंकिंग में बढ़त के साथ स्थान दिया है। इसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी के पास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी ज्यादा बेहतर सुविधाएं हैं। इससे कहीं-न-कहीं पाकिस्तान खुशी से झूम उठेगा। हालांकि, चीन की एजेंसी का थोड़ी ही देर में मजाक भी बन गया है। कायदे-ए-आज़म (QAM) विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने खुलासा किया है, संस्थान में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ही नहीं है और असल में ये विश्वविद्यालय किसी भी प्रकार की इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान नहीं करती है।

ऐसे ही एक अन्य चाइनीज झोलाछाप संगठन टाइम्स हायर एजुकेशन ने मर्दन के अब्दुल वली खान विश्वविद्यालय को पाकिस्तान का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बताया है। ये वही यूनिवर्सिटी है जहां 2017 में मशाल खान की छात्रा को ईशनिंदा के आरोप में लाठी डंडों से तब तक मारा गया था जब तक उसकी गोली मारकर हत्या नहीं कर दी गई। इस दौरान उसे नग्न करके पूरे विश्वविद्यालय के परिसर में घुमाया गया जो कि निर्दयता की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है, और हजारों छात्रों द्वारा उसका मजाक उड़ाया जा रहा था।

पाकिस्तान की पूरी शिक्षा व्यवस्था ही इस्लामिक कट्टरपंथ पर आधारित है, जहां विज्ञान और नई तरह की खोजों की कोई जगह ही नहीं है। इस कट्टरपंथ का केवल एक ही मकसद है… किसी भी तरह से कश्मीर को हासिल करना, लेकिन चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्गत मोहरा बनी रैंकिंग एजेंसियां समय-समय पर पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार करती रहती हैं जिससे ये पाकिस्तानी विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक बने रहें और पाकिस् को क्षणिक खुशियां मिलती रहें। यह बात और है कि हर बार चीन और पाकिस्तान के किसी न किसी नए षड्यंत्र का भंडाफोड़ हो ही जाता है।

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