यूपी में कोई भारत बंद नहीं, योगी सरकार के साथ CAIT भी भारत बंद के खिलाफ आया सामने

 


किसी ने सही ही कहा था – अच्छे काम में हाथ बंटाने कोई नहीं आएगा, पर टांग अड़ाने सब आ जाएंगे। हाल ही में पारित कृषि कानून के विरोध में अराजकतावादियों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है, जिसके अंतर्गत दूध, फल और सब्जी जैसी जरूरी सेवाओं की आपूर्ति को रोका जाएगा, और देशभर में यातायात को ठप किया जाएगा, और ये तब तक होता रहेगा जब तक केंद्र सरकार लागू किये गए कृषि कानून को हटा नहीं लेती। लेकिन ऐसा लगता है कि ये अराजक आंदोलन शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि यह भारत बंद भारत बंद कम और ‘NCR पंजाब बंद’ अधिक प्रतीत होता है। इसे दिल्ली, पंजाब और कुछ हद तक राजस्थान को छोड़कर किसी भी राज्य ने अपना समर्थन नहीं दिया है, यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल ने भी इस बंद को अपना समर्थन देने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। लेकिन इस भारत बंद की अराजकता के विरोध में अगर कोई सबसे अधिक आक्रामक है, तो वह है योगी आदित्यनाथ, जिन्होंने भारत बंद को यूपी में थोपने का गंभीर दुष्परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। 

हाल ही में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ अराजकतावादियों के विरुद्ध बेहद आक्रामक रुख अपनाते हुए बोले, “केंद्रीय कृषि मंत्री ने 2010-11 के सभी राज्य सरकारों को कृषि उपज मंडी समितियां (APMC) एक्ट में संशोधन के लिए पत्र लिखा था। कांग्रेस और उसे समर्थन करने वाले राजनीतिक दल आज अपने वक्तव्यों से कैसे मुकर सकते हैं? यह किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर देश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। देश के कुछ राजनीतिक दल वातावरण खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।”। 

परंतु योगी आदित्यनाथ यहीं पर  नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “भारत बंद के दौरान किसी को भी कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। सरकार का प्रयास है कि सभी जगह पर स्थिति सामान्य रहे। भारत बंद को लेकर सरकार बेहद मुस्तैद है। इस भारत बंद के दौरान कहीं पर भी कोई अप्रिय वारदात होने या फिर कहीं पर भी जबरन दुकान बंद करवाने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सख्त एक्शन लेगी। भारत बंद के नाम पर कहीं पर भी अभद्रता या फिर सरकारी उपक्रम या फिर स्थल को नुकसान पहुंचाने वालों पर जरा भी रहम नहीं किया जाएगा। शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहने या फिर अपना विरोध प्रकट करने का अधिकार सभी को है, अगर प्रदर्शन या विरोध के दौरान किसी को नुकसान होगा तो सरकार नुकसान पहुंचाने वाले से भरपाई भी करा लेगी”।

इसके अलावा भारतीय किसान महासंघ ने भी इस प्रदर्शन को अपना समर्थन देने से मना कर दिया है। वहीं चीन के विरुद्ध आर्थिक मोर्चे पर धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले Confederation of All India Traders यानि CAIT ने भी इस अराजकतावाद को अपना समर्थन देने से मना किया है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनफेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और ट्रांसपोर्टरों के संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने किसान संगठनों द्वारा मंगलवार को बुलाये गये ‘भारत बंद’ से अलग रहने की घोषणा की है। कैट ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसानों के ‘भारत बंद’ के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे। वहीं, एआईटीडब्ल्यू ने भी घोषणा की है कि “भारत बंद’ के दौरान परिवहन या ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का परिचालन सामान्य बना रहेगा”।

अब योगी सरकार अपनी बात के प्रति कितना गंभीर है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के नाम पर जनता को भड़काने का प्रयास कर रहे सपा के वरिष्ठ नेता अखिलेश यादव को हिरासत में ले लिया था। लेकिन योगी आदित्यनाथ इस काम में अकेले नहीं है। जहां पूर्वोत्तर भारत के राज्य इस प्रदर्शन को तनिक भी भाव नहीं दे रहे हैं, तो बंगाल सरकार ने वोटों की खातिर ही सही, पर इस अराजक प्रदर्शन में भाग लेने से मना कर दिया है।

यह वही योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के नाम पर आगजनी कर रहे उपद्रवियों और उन्हें बढ़ावा देने वाले राजनीतिक दलों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने में तनिक भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। ये वही योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने हाथरस हत्याकांड को जानबूझकर सांप्रदायिक हिंसा में परिवर्तित करने में जुटे राजनीतिक दलों को धूल चाटने पर विवश कर दिया। ऐसे में अब भारत बंद के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाकर योगी आदित्यनाथ ने ये सुनिश्चित किया है कि विरोध के नाम पर वे अराजकतावादियों द्वारा जनता को बंधक नहीं बनने देंगे। 

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