चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बहुप्रतिष्ठित परियोजना – बेल्ट एंड रोड परियोजना यानि BRI को अब कोई भी भाव नहीं दे रहा है। एक के बाद एक कई देश चीन के इस जाल में फँसने से पहले ही मुंह मोड़ रहे हैं। अब BRI चीन के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है, क्योंकि इसके जरिए अब चीन अपने ही बनाए कर्ज के जाल में फँसने वाला है।
स्थिति कितनी बुरी है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कभी यूरोप को आँखें तरेरने वाले चीनी विदेश मंत्री वांग यी अब दुनिया से BRI को किनारे न करने के लिए घिघिया रहे हैं। वांग यी ने दावा किया है कि चीन ने इस परियोजना में काफी निवेश बढ़ाया है, जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर हो सकती है।
वांग यी ने ये दावा किया है कि चीन BRI को एक डिजिटल रूट देने की व्यवस्था करेगा। उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है कि चीन वुहान वायरस के कारण BRI से निवेश वापिस ले रहा है। वांग यी के अनुसार, बीजिंग BRI के सदस्यों के बीच सामान के आदान प्रदान को फास्ट ट्रैक कराएगा, जिससे सप्लाई चेन में बाधा नहीं आएगी।
वांग यी ने आगे बताया, “कई बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट अभी भी जारी है, और किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाल जाएगा। कई सारे नए प्रोजेक्ट्स भी लॉन्च किये गए हैं। वैश्विक मंदी के बावजूद BRI में चीन का निवेश कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। ”
इसी को कहते हैं, घर में नहीं दाने लल्ला चले भुनाने। अगर सिर्फ आंकड़ों पर बात करे, तो आपको समझ में आएगा कि वांग यी किस प्रकार से सफेद झूठ बोल रहे हैं। पिछले वर्ष के की तुलना में BRI के अंतर्गत चीनी कंपनियों ने जितने अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है, उनमें 29 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। इन अनुबंधों का मूल्य भी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत गिरी है –
इसके अलावा चीन के प्रतिद्वंदी BRI की कमर तोड़ने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। उदाहरण के लिए भारत और जापान मिलकर एक विशाल ट्रांस एशियन कॉरिडोर पर काम कर रहे हैं, जो भूटान और पूर्वोत्तर भारत को एशिया के कोने कोने से जोड़ेगी, और BRI को भी चारों तरफ से घेरने में सहायक बनेगी। इसके अलावा दक्षिणपूर्वी एशिया में भी चीन की हालत कोई खास बेहतर नहीं है। एक ओर मलेशिया ने हाल ही में 10 बिलियन डॉलर मूल्य के अहम प्रोजेक्ट से चीन को निकाला है, तो वहीं म्यांमार भी चीन को कोई भाव नहीं दे रहा है –
दक्षिण एशिया में भी बांग्लादेश ने अनाधिकारिक तौर पर BRI को दुलत्ती मारी है, और म्यांमार – थायलैंड – भारत द्वारा संयुक्त रूप से संचालित हाइवे प्रोजेक्ट से जुडने की इच्छा जताई है। श्रीलंका ने भी वहीं स्पष्ट कहा है कि वह अपनी नीतियों को ‘पहले भारत’ के नीति के अनुसार तय करेगा।
अब वहीं अफ्रीका में रूस और भारत ने मिलकर कई अहम रेल और इन्फ्रस्ट्रक्चर को संयुक्त रूप से निर्मित करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। चीन के कर्ज का मायाजाल अफ्रीका में बुरी तरह फ्लॉप हुआ है और बीजिंग के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। इसीलिए वांग यी BRI को बचाने के लिए दुनिया के विकसित देशों से भीख मांग रहा है, लेकिन दुनिया को इस डूबते जहाज़ को बचाने में कोई भी रुचि नहीं है।
आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।
Post a Comment