पाकिस्तानी सरकार ने ग्वादर शहर के बड़े हिस्से और ग्वादर पोर्ट के चारों ओर बाड़ लगाने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे चीनी सरकार का दबाव हो सकता है, क्योंकि ग्वादर शहर को भी चीन के महत्वकांक्षी China-Pakistan Economic Corridor यानि CPEC प्रोजेक्ट के जरिये ही विकसित किया जा रहा है। हालांकि, इस शहर में CPEC के प्रोजेक्ट्स को लेकर चीनी सरकार के मन में सुरक्षा चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। स्थानीय बलोच लोग अपने यहाँ चीनी प्रोजेक्ट्स का विरोध करते रहे हैं, जो अब इस हद तक बढ़ गया है कि अब पाकिस्तानी सेना के लिए उसे काबू में रख पाना मुश्किल हो रहा है। शायद यही कारण है कि अब पाकिस्तानी सरकार को थक-हारकर क्षेत्र के चारो ओर बाड़ लगाने का फैसला लेना पड़ा है।
Dawn के लिए लिखते हुए पाकिस्तानी पत्रकार मुहम्मद आमिर राणा का मत है कि सुरक्षा चिंताओं की वजह से बाड़ लगाना समस्या से निपटने का सबसे आखिरी तरीका माना जाता है। इससे स्थानीय लोगों में ड़र और खौफ़ का माहौल बढ़ेगा। इसके साथ ही पाकिस्तानी विपक्ष भी इस फैसले का विरोध कर रहा है। सांसद असलम भूटानी के मुताबिक “ग्वादर पोर्ट को जहां खुशहाली और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में विकसित किया जाना था, वहीं अब इसके माध्यम से वहाँ के लोगों के मन में ड़र भरा जा रहा है। एक पोर्ट को सुरक्षा ज़ोन बना दिया गया है।”
आइए अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर पाकिस्तानी सरकार को यह फैसला क्यों लेना पड़ा है। CPEC के लिए लगातार सुरक्षा चुनौतियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। पाकिस्तान में तीन-तीन प्रमुख अलगाववादी और विद्रोही संगठन यानि तालिबान, बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी और सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी CPEC के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर चुके हैं। बलूचिस्तान के लोग अपने यहाँ चीनी अधिकारियों और पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी को नापसंद करते हैं, जिसके कारण उन्होंने CPEC को निशाना बनाना शुरू किया हुआ है। इसी प्रकार सिंधुदेश से जुड़े लोग भी CPEC को उनके अधिकारों का हनन करने वाला प्रोजेक्ट घोषित कर चुके हैं। वहीं तालिबान से जुड़े अलग-अलग संगठन चीन द्वारा उइगरों पर अत्याचार किए जाने के कारण CPEC को निशाना बना सकते हैं। CPEC की सुरक्षा के लिए पैदा होते इतने बड़े खतरे की वजह से ही पिछले दिनों चीनी बैंकों ने इस प्रोजेक्ट के लिए और कर्ज़ देने पर रोक लगा दी थी।
CPEC का काम रुकने से खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग इतने हताश हो गए थे कि सितंबर महीने में उन्होंने पाकिस्तान की अपनी प्रस्तावित यात्रा को ऐन मौके पर रद्द कर दिया था। इसके अलावा उसी महीने पाकिस्तान में मौजूद चीनी राजदूत को तय वक्त से तीन महीने पहले ही वापस चीन भेज दिया गया था। इसका संबंध भी CPEC पर जारी काम में सुस्ती आने से ही था। पाकिस्तानी सेना अपने यहाँ CPEC की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है, और अब यही कारण हो सकता है कि पाकिस्तानी सरकार को ग्वादर पोर्ट के चारो ओर fencing का काम कराना पड़ रहा है।
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