भारत पाकिस्तान को इस्लामिक दुनिया में अलग-थलग करने में सफल हो रहा है

 


सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्तों में लगातार तनाव देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान ने जिस प्रकार पिछले कुछ समय में अरब देशों के दुश्मन तुर्की के साथ नज़दीकियां बढ़ाई हैं, उसने सऊदी अरब के साथ-साथ UAE को भी नाराज़ कर दिया है। हालांकि, आज से पहले तक जब-जब पाकिस्तान और पाकिस्तानी सरकार के बीच कोई तनाव देखा गया है, तब-तब पाकिस्तानी सेना ने बीच में कूदकर स्थिति को संभाला है। इस प्रकार पाकिस्तानी सेना हमेशा से ही पाकिस्तानी सरकार और सऊदी अरब के रिश्तों को किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से बाहर रखने में कामयाब रही है। हालांकि, अब की बार भारत ऐसा होने नहीं दे रहा है। भारतीय सेना के अध्यक्ष एम एम नरवणे आजकल सऊदी अरब और UAE के दौरे पर हैं, और माना जा रहा है कि इस बार वे पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच पुल का काम करने वाली पाकिस्तानी सेना का पत्ता काटकर ही आने वाले हैं।

सऊदी अरब और अरब के बाकी देश पाकिस्तान को ना सिर्फ आर्थिक सहायता प्रदान करते आए हैं, बल्कि अपने यहां लाखों पाकिस्तानियों को रोजगार भी देते आए हैं। इसके बदले में पाकिस्तान आज तक अरब देशों की सुरक्षा ज़रूरतें पूरी करता आया था। उदाहरण के लिए वर्ष 1967 में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक सुरक्षा समझौता हुआ था जिसके बाद पाकिस्तानी सेना और वायुसेना के कई सैनिक सऊदी अरब की सेना को ट्रेन करने सऊदी अरब जाते रहे हैं। साथ ही साथ, ईरानी रिवोल्यूशन के बाद वर्ष 1982 में दोनों देशों के बीच एक Protocol agreement हुआ था, जिसके तहत पाकिस्तान ने सऊदी अरब में अपने 15 हज़ार सैनिकों को तैनात किया था। साथ ही साथ पाकिस्तान इकलौता ऐसा इस्लामिक देश है, जिसके पास न्यूक्लियर हथियार है। सऊदी अरब और अरब देश इसलिए भी आज तक पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभाने के लिए मजबूर हुए थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि ईरान और तुर्की के खिलाफ किसी भी विवाद में वे पाकिस्तान का इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि, अब जब यही पाकिस्तान ईरान और तुर्की के साथ रोमांस कर रहा है, तो इसने सऊदी अरब और UAE को चिंता में डाल दिया है। हालांकि, अब इस पूरे विवाद में भारत की एंट्री ने पाकिस्तान के लिए चीज़ें और मुश्किल कर दी हैं।

दरअसल, ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भारतीय सेनाध्यक्ष गल्फ देशों में कदम रख रहा है। ऐसा करने भारत ने गल्फ देशों को यह साफ संदेश भेजा है कि भारत अब खुलकर इन देशों के साथ सैन्य संबंध स्थापित करने के लिए तैयार है। यहाँ तक कि आर्मी चीफ़ के दौरे के दौरान ही सऊदी अरब और UAE भारत से ब्रह्मोस मिसाइल लेने के लिए भी बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं। सऊदी अरब और UAE के सामने अब पाकिस्तान की बजाय भारत के साथ सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने का बेहतर विकल्प मौजूद है, और ऐसे में ये दोनों देश भी इस अवसर का भरपूर फायदा उठाने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं।

पीठ में छुरा घोंपना पाकिस्तान की आदत है और पड़ोसी होने के नाते पाकिस्तान भारत के साथ ना जाने कितनी बार विश्वासघात कर चुका है। इस बार पाकिस्तान ने अरब देशों के साथ भी ठीक ऐसा ही किया है, जिसके बाद अरब देश पाकिस्तान को माफ़ करने के मूड में बिलकुल नहीं है। UAE तो पहले ही पाकिस्तानियों को नए वीज़ा जारी करने पर पाबंदी लगा चुका है। भारत ने स्थिति को भांपते हुए ऐन मौके पर अपने सेनाध्यक्ष को सऊदी अरब भेजकर पाकिस्तान-अरब रिश्तों की कब्र खोदने का काम कर दिया है।

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